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18/12/2019 Swami Education Views 275 Comments 0 Analytics Hindi DMCA Add Favorite Copy Link
नागरिकता संशोधन बिल (सीएबी) और एनआरसी में क्या अंतर है
नागरिकता कानून के विरुद्ध देश के कई राज्यों में विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं. इस विरोध प्रदर्शन की शुरुआत पूर्वोत्तर भारत के असम से हुई. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के विरुद्ध देश भर में हो रहे हिंसक प्रदर्शनों को दुर्भाग्यपूर्ण और बेहद निराशाजनक करार दिया

संसद से नागरिकता संशोधन विधेयक (CAB) को 11 दिसंबर 2019 को मंजूरी मिल गई थी. इस विधेयक के पक्ष में 125 मत पड़े जबकि 105 सदस्यों ने इसके खिलाफ मतदान किया था. राष्ट्रपति ने इस विधेयक को 12 दिसंबर को मंजूरी दे दी थी. राष्ट्रपति की मंजूरी मिलते ही यह विधेयक नागरिकता संशोधन विधेयक कानून बन गया है.

नागरिकता कानून के विरुद्ध देश के कई राज्यों में विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं. इस विरोध प्रदर्शन की शुरुआत पूर्वोत्तर भारत के असम से हुई. इसके बाद अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी, दिल्ली की जामिया यूनिवर्सिटी में भी बहुत ही जबरदस्त प्रदर्शन हुए. हिंसक झड़पों के बाद, दिल्ली पुलिस ने हिंसा में शामिल होने के लिए कथित तौर पर जामिया के 100 से अधिक छात्रों को हिरासत में लिया.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के विरुद्ध देश भर में हो रहे हिंसक प्रदर्शनों को दुर्भाग्यपूर्ण और बेहद निराशाजनक करार दिया. प्रधानमंत्री ने कहा कि नागरिकता कानून से किसी भी भारतीय को नुकसान नहीं होगा. तो आइए समझते हैं कि CAB और NRC क्या है, दोनों में क्या अंतर है और इस मुद्दे पर देश में उबाल क्यों है

नागरिकता संशोधन विधेयक (CAB) क्या है?

यह विधेयक नागरिकता अधिनियम 1955 में बदलाव करेगा. इस विधेयक के तहत बांग्लादेश, पाकिस्तान, अफगानिस्तान समेत आस-पास के देशों से भारत में आने वाले हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी धर्म वाले लोगों को नागरिकता दी जाएगी. नागरिकता संशोधन विधेयक (CAB) संसद में पास होने और राष्ट्रपति की महुर लगने के बाद नागरिक संशोधन कानून (CAA) बन गया है.

नागरिकता संशोधन बिल में छह गैर-मुस्लिम समुदायों- हिंदू, सिख, ईसाई, जैन, बौद्ध और पारसी धर्म से संबंधित अल्पसंख्यक शामिल हैं. इस विधेयक के तहत 31 दिसंबर 2014 तक धर्म के आधार पर प्रताड़ना के चलते पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आए धार्मिक अल्पसंख्यक के लोगों को भारतीय नागरिकता दी जाएगी.

पिछला नागरिकता मानदंड क्या थे?

भारतीय नागरिकता लेने के लिए भारत में 11 साल रहना अनिवार्य था. नए विधेयक के तहत पड़ोसी देशों के अल्पसंख्यक यदि पांच साल से भी भारत में रहे हों तो उन्हें भारतीय नागरिकता दी जा सकती है

एनआरसी क्या है

एनआरसी (असम में अधिवासित सभी नागरिकों की एक सूची है. वर्तमान में राज्य के भीतर वास्तविक नागरिकों को बनाए रखने और बांग्लादेश से अवैध रूप से प्रवासियों को बाहर निकालने हेतु अद्यतन किया जा रहा है. यह पहली बार साल 1951 में तैयार किया गया था.

एनआरसी प्रक्रिया हाल ही में असम में पूरी हुई. हालांकि, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने नवंबर 2019 में संसद में घोषणा की कि एनआरसी पूरे भारत में लागू किया जाएगा.

NRC के तहत पात्रता मानदंड क्या है

राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (एनआरसी) की वर्तमान सूची में शामिल होने के लिए व्यक्ति के परिजनों का नाम साल 1951 में बने पहले नागरिकता रजिस्टर में होना चाहिए या फिर 24 मार्च 1971 तक की चुनाव सूची में होना चाहिए

दस्तावेजों में: इसके लिए अन्य दस्तावेजों में जन्म प्रमाणपत्र, शरणार्थी पंजीकरण प्रमाणपत्र, भूमि और किरायेदारी के रिकॉर्ड, नागरिकता प्रमाणपत्र, स्थायी आवास प्रमाणपत्र, पासपोर्ट, एलआईसी पॉलिसी, सरकार द्वारा जारी लाइसेंस या प्रमाणपत्र, बैंक या पोस्ट ऑफिस खाता, सरकारी नौकरी का प्रमाण पत्र, शैक्षिक प्रमाण पत्र एवं अदालती रिकॉर्ड होना चाहिए
                             

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