जब पता होता है ना
कि हम सही पथ पर हैं
और सच्चाई हमारी साथी है,
तो ज़हन के भीतर
एक आंधी सी चलने लगती है
जो हर अंग को जोश और उत्साह से
रंगीन गुब्बारे की तरह भर देती है,
खोल देती है सारे दरवाज़े
जो वक़्त ने बंद कर दिए होते हैं,
लॉक डाउन कर देती है
सभी नकारात्मक विचारों का
और दिमाग के सारे तालों की
चाबी ढूँढ़ लाती है!
‘गर तुम्हें अपने पर
पूरा भरोसा है
तो चल जाने दो आंधी,
बिना किसी डर के और भय के!
पहले बड़ी उथल-पुथल होगी,
पर फिर धीरे-धीरे
जैसे-जैसे आंधी थमेगी
सब हो जाएगा साफ़!
हो सकता है
तब तुम झूलने लगो
धनक के सात रंगों के झूलों पर!
नीलम सक्सेना चंद्रा,
RB V 585 /A, D Block, Sangam Park Railway Officer’s Colony,
Pune 411001
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