वक्त की रफ्तार कुछ थम सी गई है,
जिंदगी अचानक कहीं रुक सी गई है,
घरों में कैद इंसान और सड़कें सुनसान,
लगता है इंसानों से फिर कोई गलती हो गई है।
हर बार गलतियां करता है,
देश और समाज सदियों तक भुगतता है,
ख़ामोश हो जाती है जिंदगियां,
सिलसिला ये यूंही चलता रहता है,
ये तो माटी है ऐसी इस देश की,
जिस ने फौलाद सा हमें बनाया है,
देख लो पन्ने पलट के इतिहास की,
हंस हंस के हमें लड़ना इसने सिखाया है।
ये भी जंग जीत जाएंगे हम,
थोड़ा इंतजार करना होगा हमें,
अंदर से बस टूटे न हम,
फिर कोई हरा नहीं सकेगा हमें।
वक्त और जिंदगी एक शिक्षक हैं,
हर कदम पर कुछ सिखाएंगे,
चुनौतियां तो परिक्षा लेती रहेंगी,
सफलता का निर्णय हमारी शिक्षा करेंगी।
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