बेटा विभव,
ढेर सारा प्यार! तुम हमारे जीवन में भगवान का दिया अब तक का सबसे खूबसूरत तोहफा हो। 29 अगस्त 2021 को तुम दो वर्ष पूरा कर तीसरे। वर्ष में प्रवेश कर गए हो। पर हमारे लिए तुम दो साल नौ महीने पूरे कर चुके हो। मैंने और तुम्हारी मां उस नौ महीने को भी वैसे जिया है जैसा कि अब जी रहे हैं।
तुमने हमें मुस्कुराने कि एक और वजह दे दी है। मैं तो एक दुविधा में फंस गया हूं, तुम्हें जल्दी बड़ा होते ही देखना चाहता हूं, और तुम्हें इतनी जल्दी बड़ा होते देख मन भी नहीं लग रहा है। तुम्हारा बचपन और तुम्हारी शरारतों से मन ही नहीं भर रहा है। आज जहां बच्चे अपना बचपना जीये बिना जवान हो जा रहे हैं, तुम अपना बचपन जी भर कर जीना, खूब खेलना, खूब खाना, जो चाहे वो करना क्योंकि बचपन लौट कर नहीं आता। जिंदगी को जीना यहां तो लोग काट रहे हैं। कल कि चिंता में आज को नाराज न करना, जो बीत गया है वो तजुर्बा है उसका इस्तेमाल करना और जो आने वाला है वो उम्मीद है उससे अपने को प्रेरित रखना। तजुर्बा तुम्हें फंसने नहीं देखा और प्रेरणा तुम्हें रुकने नहीं देगी। परिस्थितियां जैसी भी हो रुकना नहीं है, थोड़ा ठहरना आत्मविश्वास भरना और फिर निकल पड़ना, यही जिंदगी है। नदीयों की तरह अविरल। रास्ते भी तुम चुनना और मंजिल भी। परंतु मंजिल सोच समझकर चुनना। एक अच्छा इंसान बनना इस दुनिया में अच्छे इंसानो की बहुत जरूरत है। सच बोलना, ये बहुत साहस का काम, झूठ कमजोर बोलते हैं और तुम कमजोर नहीं हो। रिश्तों को जीना श, उन्हें ईमानदारी से निभाना। आज जहां लोग मतलब से रिश्ते जोड़ते हैं और मतलब से तोड़ देते हैं, तुम नि: स्वार्थ रिश्ते निभाना।
बेटा कहने के लिए तो बहुत कुछ है और सिखने के लिए भी परंतु अभी के लिए बस इतना ही, खूब मन लगाकर पढ़ना, ऐसे ही खिलखिला कर हंसते रहना, तुम्हारी हंसी हमारे सारी तकलीफें भुला देती हैं।
ढेर सारा आशिर्वाद।
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