वो रातों की महफिलों में! मैं भी एक दिन जाऊंगा। सब चांद को देख इतराएंगे! मैं अपनी चांद ले जाऊंगा !! मस्ती होगी बातें होगी शोर शराबा खूब होगा ! कितना सुंदर रंग जमेगा! सामने जब महबूब होगा !! सबकी अपनी बात रहेगी ! सब मन की बात बताएंगे। वो भी क्या पल होगा ! जब सबको उन्हे मिलवाएंगे !! उनकी भी तारीफ होगी ! वो भी थोड़ा शर्माएंगे । सब चांद की नूर में गायेंगे! हम अपना चांद दिखाएंगे। हर्ष मनस्वी!! कविता कैसी लगी बताना न भूले !!