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28/07/2022 Kajal sah Achievement Views 185 Comments 0 Analytics Hindi DMCA Add Favorite Copy Link
कविता : जीत
कविता : जीत

जीत मिली है, मुझे अपने जिद से
पहचान मिली है, मुझे अपने संघर्ष से
हिम्मत टूटी थी, पर गिरी नहीं मैं
हरदम रखी अपने हौसले को बुलंद
गिरकर उठी मैं और चलकर संभली
ठोंकर खाकर समझी मैं कि -
जीत चुकी हूँ अब अपनी हार से
बढ़ा चुकी हूँ, कदम जीत की ओर
नहीं रुकना है अब मुझे अब
लोगों की बातें सुनकर
कर दिखाना है कुछ अपने दम पर
मिल है ताना मुझे, सह ली सारे दर्द
जिद्दी बनकर हासिल कर लिया
अपने ख्वाब और.........
देखों बढ़ चली मैं मंजिल की ओर।

धन्यवाद : काजल साह : स्वरचित
                             

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