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28/07/2022 Kajal sah Achievement Views 222 Comments 0 Analytics Hindi DMCA Add Favorite Copy Link
कविता : ममता
कविता : ममता

पलकों के छाव में
मुझे बैठाती है
चूल्हे पर खाना
वो आग के
तमतमाती में
ही बनाती है
आधा खुद खाकर
मुझे पूरा खिलाती है
अपने ख्वाब को भूलकर
मेरे ख्वाब को
उड़ना सिखाती है
एक गुरु की तरह
मुझे शिक्षा का पाठ
पढ़ाती है
माँ ही मेरे जीवन का
आधार कहलाती है।

हार कर बैठ मत जाना
एक कोशिश जरूर करना
दूसरे की ख़ुशी में
तुम भी खुश होना
किसी दुखी व्यक्ति को
अपनी आधी ख़ुशी दे देना
गलत राह और गलत
संगत से
मुझे बचाती है
इसलिए मेरी माँ
मेरे जीवन का
असली मित्र कहलाती है।

धन्यवाद :काजल साह : मौलिक
                             

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