बिहार: 10 वर्षों से पत्नी कोमा में, पति निभा रहा वचन, हंसाने की जगह रुलाना पड़ता है। 😢
बेगूसराय के बरौनी रिफाइनरी में काम करने वाले वागीश आनंद ने 18 अप्रैल 2012 में ईशा से विवाह किया था। साल भर बाद इस जोड़े का परिवार पूरा होने वाला था। 26 अप्रैल 2013 को ईशा ने रिफाइनरी अस्पताल में एक बेटी को जन्म दिया। लेकिन इस परिवार के जीवन में तब अंधकार छा गया जब एक स्वास्थ्यकर्मी की गलती के कारण बेहोश ईशा कोमा में चली गयी। फिर अस्पताल और डॉक्टरों तक चक्कर लगाने का दौर शुरू हुआ। वागीश ने पत्नी ईशा को गुड़गांव, दिल्ली के बड़े अस्पतालों में दिखाया। इस बीच अपनी नौकरी के लिए बरौनी भी आते रहे। बेटी को पालने की व्यवस्था भी देखते रहे। फिर 2015 में ईशा को बरौनी ले आए। रिफाइनरी के सहयोग से क्वार्टर के एक कमरे को अस्पताल में बदला गया।
तब से आज तक वागीश पत्नी ईशा की देखभाल कर रहे हैं। बेटी अब 10 वर्ष की हो चुकी है। माता-पिता दोनों का कर्तव्य वागीश निभा रहे हैं। कोमा में जाने से एक महीने पहले ईशा की शिक्षिका की नौकरी भी लग गयी थी। लेकिन भाग्य में कुछ और ही लिखा था। वागीश आनंद कहते हैं विवाह में प्रतिज्ञा ली थी कि पत्नी को कभी रोने नही देंगे।
लेकिन परिस्थिति ऐसी है की ईशा को हंसाने की जगह रुलाना पड़ता है। क्योंकि चिकित्सक का कहना है कि ईशा जितना रोएगी, उतनी जल्दी इनकी संवेदनाएं जागेगी। रुलाने के लिए रोना भी पड़ता है। वागीश को आशा है एक दिन ईशा अवश्य ठीक हो जाएगी।
हम भी प्रार्थना करते हैं, एक दिन ईशा कोमा से बाहर अवश्य आएंगी।
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