मुँह से निकले हर शब्द का मोल होता है इसलिए किस प्रकार से हम अपने बातों को कहते है यह बहुत अनिवार्य होता है,बोली में मिठास और खटास दोनों विर्जमान है इसलिए यह हमारे ऊपर निर्भर करता है कि हम अपने बोली से क्या छाप छोड़ना चाहते है।
आपके पास जितना भी गुण क्यों ना हो जब तक आप उसे एक्सप्रेस करना नहीं सीखेंगे तब तक वो गुण सब के सामने नहीं आ पायेगा, इसलिए सबसे पहले हमें अपने शब्दों को और हर वाक्य को मजबूत एवं सुन्दर बनाना सीखना होगा।
बोलना एक कला है इसे हम सीख सकते है ज्ञान एवं अपने बड़ो से।
लोग बोल क्यों नहीं पाते?
1. डर के कारण
2. आत्मविश्वास की कमी
3.लोग क्या कहेंगे
4. स्टेज का डर
5. कंटेंट की कमी के कारण
इत्यादि बहुत सारे कारण है जिनके वजह से हमें अपना विचार रखने में झिझकाहट होती है, अगर हमें जीवन में उन्नति के राह तक पहुंचना है तो सबसे पहले इन सारी कमियों को मिटाना होगा।
हमारे अंदर सबसे पहले लर्निंग की रूचि होनी चाहिए, जब यह रूचि हम अपना लेंगे तब जरूर हम अच्छी अरिंग कर पाएंगे।
हम जिनके साथ ज्यादा समय बिताते है और जहाँ समय ज्यादा उपयोग करते है वही आदतें हमारे अंदर आ जाती है, वह गुण भी हो सकता है या अवगुण भी। अगर हमें बुरे मित्र, अत्यधिक सोशल मीडिया का दुरूपयोग, गेम्स की लत, आलसी बनके रहना, समय का दुरूपयोग करना इत्यादि अगर हम यह सब कार्य करते है तो हम कभी भी एक अच्छे स्पीकर नहीं बन सकते है, साथ ही साथ एक अच्छा श्रोता बनने के लिए एक अच्छा वक्ता बनाना पड़ता है, इसलिए सुनना सीखिए जितना आप अपने से अनुभवी व्यतीयों को सुनियेगा वैसे ही आप अपने व्यक्तित्व में अच्छे गुण आएंगे।
पब्लिक स्पीकिंग के कुछ महत्वपूर्ण तथ्य
1.विषय चुने
2. निरंतर अभ्यास करे
3.आत्मविश्वास के साथ अपने भाषण/विचार को बोले
4. ऑय कांटेक्ट का सही से उपयोग करे
5. बॉडी लैंग्वेज
पब्लिक स्पीकिंग एक स्किल है इसे आप अपने प्रयास और सीखने की चाहते से अपनना सकते है इसलिए इस स्किल के लिए हमेशा लग्न से कार्य करते रहे।
धन्यवाद : काजल साह :स्वरचित
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