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25/02/2023 Kajal sah Awareness Views 181 Comments 0 Analytics Hindi DMCA Add Favorite Copy Link
कविता : मैं भी पढ़ना चाहती हूँ माँ
 मैं भी आगे बढ़ना चाहती हूँ, माँ
ऊँची - ऊँची उड़ानों से
मैं भी उड़ना चाहती हूँ, माँ
तेरे हर सपनों कों
मैं भी पूरा करना चाहती हूँ, माँ
मैं तेरे लिए सुंदर जहान बनाना चाहती हूँ, माँ
मैं भी पढ़ना चाहती हूँ, माँ।

समाज के व्याप्त कमियों कों
मिटाना चाहती हूँ, माँ
पापा का अभिमान
बनना चाहती हूँ, माँ
स्वयं पर निर्भर
रहना चाहती हूँ, माँ
मैं भी आगे बढ़ना
चाहती हूँ, माँ
मैं भी शिक्षा ग्रहण
चाहती हूँ, माँ।

अपने भय कों मिटाना
चाहती हूँ, माँ
लोगों के रूढ़िवादी सोच कों
कुचलना चाहती हूँ, माँ
जीवन के हर कठिन
डगर पर
अकेला चलना चाहती हूँ, माँ
माँ मैं भी कागजी पकड़ना
चाहती हूँ
मैं भी अपने कठिन
परिश्रम से
अपनी पहचान बनाना
चाहती हूँ, माँ
जग में तेरा नाम आगे
बढ़ाना चाहती हूँ, माँ
मैं भी पढ़ना चाहती हूँ, माँ।
धन्यवाद : काजल साह :स्वरचित
                             

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