तेरी लाडली मैं तेरी जान मैं तेरी बेटी मैं तों क्यों मार रही है मुझें अपनें ही पेट में? क्यों दफना रही है, मुझें बहती गंगा में क्यों जला रही है मुझें अपनी ही कोख में? क्या मैं तेरी लिए इतनी बुरी हूँ कि तूने मुझें दुनिया ही देखने नहीं दिया? माँ तेरे लिए कुछ करना चाहती हूँ तेरे लिए जहां बनाना चाहती हूँ मत मार ना मुझें तेरे साथ धड़कन चल रही है मेरी मुझें जन्म तों लेने दे।
Chamakdaar good one keep it up nice poem