भविष्य जन्म सें निर्णय नहीं होता
भविष्य तो कर्म सें निर्णय होता है
ऐसे महान सोच और महान करने वाले हम सभी के बाबा डॉ भीम राव रामजी अम्बेडकर जी। जिन्होंने जीवन में परेशानियों को कभी परेशानी समझा हीं नहीं है, वे कहते थे परेशानियां हम उसे कहते है जिसका निवारण हम नहीं कर सकते है।
बचपन सें हीं उन्होंने संघर्ष किया, शिक्षा, पानी, जाति - पाति में अंतर इत्यादियों का। लोगों की रूढ़िवादी मानसिकता के कारण सें लोग उन्हें अछूत, उनकी आवाज को अपवित्र मानते थे। महार जाति में उनका जन्म हुआ था, मात्र 8 साल के बालक को बचपन सें हीं इतने सारे समस्या का सामना करना पड़ा। आप जरा सोचिये उस बालक के मानसिकत स्थिति में कितना प्रभाव पड़ रहा होगा? लेकिन उन्होंने सारे दर्दो, सारे संघर्षो सें बड़े डट के सामना किया और अपनी एक महान पहचान पुरे विश्व में उन्होंने लहराया दिया।
जीवन की हर उन्नति को पाने के लिए शिक्षा सबसे आवश्यक हैं। वे एक -1. महान नेता
2. महान राजनीतिक नेता
3. महिला सुधारक
4. अशास्त्री
5. महान लेखक
6. महान विचारक
7. बौद्ध पुनरुत्थानवादी
इतने प्रतिभाशाली होने के बाद भी उनके अंदर अंहकार बिल्कुल नहीं था, वे सिखने के प्रति हमेशा तीव्र इच्छुक रहते थे। आपकों जानकर बहुत खुशी होंगी कि उन्होंने MA- पोलिटिकल साइंस,
MA-इकोनॉमिक्स, MA- हिस्ट्री, MA - सोशियोलॉजी। हमारे बाबा साहब जी कों 9 भाषाओं क़ी जानकारी, जिन्होंने 32 डिग्रियाँ साथ हीं साथ विदेश जाकर अर्थशास्त्र के phd करने वाले पहले भारतीय हम सभी के बाबा साहाब जी थे। भारत देश के प्रथम क़ानून मंत्री, और सविंधान सभा के प्रारूप समिति के अध्यक्ष डॉ भीम राव अम्बेडकर जी थे। जिनको कभी विद्यालय के बाहर बैठ कर शिक्षा लेना पड़ता था, पानी का मटका छूना मना, इत्यादि सभी सें उन्होंने लड़के ख्याति और सम्मान का उन्होंने शिखर प्राप्त किया।
बाबा साहब क़ी उन्नति अविश्वनीय लगती है, लेकिन उन्होंने अपने आत्मबल और प्रतिभा सें उन्होंने प्राप्त किया है। यही आत्मबल और संघर्ष सें उन्होंने 60 देशों का सविंधान पढ़के, विभिन्न देशों के कानूनों कों पढ़के उन्होंने विश्व का सबसे बड़ा सविंधान भारतीय सविंधान क़ी रचना क़ी और भारतीय सविंधान के जनक कहलाये।
उन्होंने दो किताबें लिखी है
1. The evolution of provincial finance in british India - इसी किताब के आधार पर भारतीय RBI क़ी स्थापना हुई
2. The problem off rupee
उनकी ज्ञान, बुद्धि और कौशल के इंडियन नेताओं के साथ हीं साथ ब्रिटिश नेता भी मांगते थे।
उन्होंने हिन्दू कोड बिल और साथ हीं साथ उन्होंने महिलाओं के हक़ के लिए आवाज उठाया।
वे एक ऐसा नेता थे, जो सत्ता के लिए नहीं लड़ते थे, वे तो देश के कमजोर हिस्सा कों उठाना चाहते थे।
इनकी भाषा में इनकी भाषण में इनकी चर्चा में इनकी आचरण में इनकी किताबों में सविंधान लिखने में सहनशीलता लगातार दिखती रही।
इन्होंने अहिंसा परमो धर्म यानि बौद्ध धर्म कों बहुत मानते थे।
आगे चलकर उन्होंने बौद्ध धर्म कों पूर्ण रूप अपनाना लिया था।
Columbia university ने आगे चलकर भीम राव जी कों No.1 स्कॉलर इन द वर्ल्ड क़ी उपाधि दी।
धन्यवाद
काजल साह
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