अभिनव बिन्द्रा
ओलंपिक में भारत को गोल्ड मेडल मिलने से हर भारतीयवासी खुशी से झूम उठा। बिंद्रा की जिद और जुनून ने उन्हें इस मुकाम पर पहुंचाया है। बैंकाक में हुए वर्ल्ड शूटिंग चैंपियनशिप में बिंद्रा की टीम मेट रही इंटरनेशनल शूटर श्वेता चौधरी ने कहा कि बिंद्रा ने जो कहा, वह कर दिखाया। श्वेता मालूमी अंतर से ओलंपिक टीम में जगह बनाने में नाकाम रहीं। श्वेता ने बताया कि बिंद्रा ओलंपिक गोल्ड के लिए पिछले 4 साल से अनवरत मेहनत कर रहे थे। बिंद्रा ने जो कहा वह करके दिखाया।
ऐसे बदली दुनिया स्वेता बताती है कि एथेंस ओलंपिक के बाद अभिनव के व्यवहार में चेंज आया। एथेंस ओलंपिक में पद हासिल न करने के बाद उन्होंने निश्चय कर लिया था कि वह अगला मौका (बीजिंग ओलंपिक ) नहीं गांव गवाएंगे। स्मरण सुनाते हुए सविता ने कहा कि बैंकाक में वर्ल्ड चैंपियनशिप के दौरान जब भारतीय टीम के अन्य शूटर शाम को घूमने गए थे, अभिनव बिंद्रा जिम में एक्सरसाइज कर रहे थे। शायद अभिनव को एथेंस ओलंपिक में पदक नहीं जितने का सदमा ऐसा लगा कि उनके व्यवहार में काफी परिवर्तन आ गया। उसके बाद से वह रिजर्व रहने लगे। इसके पहले वह साथियों के बीच आकर हंसी- मजाक करते थे। इसके बाद वह लगातार विदेशों में जाकर प्रैक्टिस करते रहे। श्वेता ने बताया कि बिंद्रा ने स्वयं ही अपने लिए प्राइवेट को साइकलॉजिस्ट एवं फिजियो नियुक्त किया था। इसके बावजूद छोटी प्रतियोगिताओं में उनके मेडल ना जितने पर कई बार उनकी आलोचना हुई, परंतु उनको जानने वाले जानते थे कि अभिनव में वह क्षमता है जो वक्त आने पर बड़ी प्रतियोगिताओं में अवश्य दिखेगा। उनका टारगेट ओलंपिक ही था।
2. गोल्ड कैडी
( गोल्फर का बैग लेकर चलने वाला )
चैंपियन बनने की अजब दास्तान
बंगलुरु के गोल्ड तलब में कैंडी ( अर्थ अर्थ खिलाड़ियों के पीछे बैग उठाकर चलने वाले लड़के ) का कार्य करने वाला, चिन्ना स्वामी मनिप्पा ने एक 11 अक्टूबर 2009 की 12.5 लाख डॉलर की हीरो होंडा इंडियन ओपन चैंपियनशिप जीतकर सभी को अचंभे में डाल दिया। जब डीएलएफ गुड़गांव गोल्फ क्लब के मैदान पर चिन्ना स्वामी ने दक्षिण कोरिया के प्रतिष्ठित खिलाड़ी ली सुंग को हराया, तो लोग विश्वास ना कर सके।
कर्नाटक के चिन्ना स्वामी मनिअप्पा ने बिना किसी कोच के स्वयं की मेहनत एवं लग्न के बल पर यह प्रतियोगिता जीतकर यह साबित कर दिया कि लग्न निष्ठा एवं आत्मविश्वास से कोई भी लक्ष्य हासिल करना संभव है।
चिन्ना स्वामी आज तक कर्नाटक गोल्फ क्लब के सदस्य नहीं है। चिन्नास्वामी के माता-पिता कर्नाटक के उसी गोल्फ मैदान पर दैनिक मजदूर थे, जहां आज उनका बेटा गोल्ड की प्रैक्टिस करता है।
चिन्नास्वामी ने गोल्ड की बारीकियां कैडी का कार्य करते-करते सीखी एवं प्रोफेशनल गोल्फर बने। हमें गर्व है ऐसे भारतीय पर। चिन्नास्वामी आज हर उस युवक के लिए प्रेरणा स्रोत हैं जो आर्थिक मजबूरी को अपनी सफलता के मार्ग में रुकावट समझते हैं।
इसीलिए हमें अपने जीवन में कभी भी बहाना, आलस्य और अवगुणों को कभी भी स्थान देना नहीं चाहिए।
धन्यवाद
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