आदिवासी सावता सुसार आखाड़ा के मुख्य संयोजक सह पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन का सोमवार को कांड्रा में गर्मजोशी से स्वागत किया गया। इस दौरान सैकड़ों आदिवासी समुदाय के लोगों ने संस्था की सदस्यता ग्रहण की। आदिवासी रूढ़िवादी परंपरा को बचाने के लिए झारखंड, पश्चिम बंगाल और उड़ीसा में संगठन का विस्तार किया जा रहा है। इस संगठन का मुख्य उद्देश्य आदिवासियों के धर्मांतरण और बांग्लादेशी घुसपैठियों द्वारा आदिवासियों के जमीन पर हो रहे कब्जे के विरोध में आवाज बुलंद करना है। पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन ने बताया कि आदिवासी सावता सुसार आखाड़ा ने जो बीड़ा उठाया है उसकी जितनी सराहना की जाए कम है। उन्होंने आगे बताया कि संथाल परगना के अलावा कोल्हान प्रमंडल में भी बड़ी संख्या में आदिवासियों की जमीन लूटी जा रही है। इसके अलावा बड़े पैमाने पर धर्मांतरण हो रहा है। इस संस्था द्वारा आदिवासी रूढ़िवादी परंपरा को बचाने का प्रयास किया जा रहा है।