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19/03/2025 Aditi Pandey Achievement Views 129 Comments 0 Analytics Video Hindi DMCA Add Favorite Copy Link
सुनीता विलियम्स और उनके साथियों की नौ महीने बाद सफल पृथ्वी वापसी

भारतीय मूल की अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स ने आज सफलतापूर्वक पृथ्वी पर वापसी की है। वह और उनके साथी, नासा के बैरी "बच" विलमोर, नासा के निक हेग, और रूसी कॉस्मोनॉट अलेक्ज़ेंडर गोरबुनोव, जून 2024 में इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (आईएसएस) के लिए रवाना हुए थे और नौ महीने तक अंतरिक्ष में रहे। उनकी वापसी स्पेसएक्स के ड्रैगन कैप्सूल के माध्यम से हुई, जो फ्लोरिडा के तट के पास सफलतापूर्वक लैंड हुआ। वापसी में देरी और चुनौतियाँ सुनीता और विलमोर की मूल योजना एक सप्ताह की मिशन की थी, लेकिन बोइंग के स्टारलाइनर कैप्सूल में तकनीकी समस्याओं के कारण उनकी वापसी में देरी हुई। कैप्सूल में थ्रस्टर मालफंक्शन और हीलियम लीकेज जैसी समस्याएँ सामने आईं, जिससे उनकी वापसी को स्थगित करना पड़ा। इन चुनौतियों के बावजूद, दोनों अंतरिक्ष यात्रियों ने धैर्य और समर्पण के साथ अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन किया। अपने विस्तारित मिशन के दौरान, सुनीता विलियम्स और उनके साथियों ने कई महत्वपूर्ण प्रयोग और अनुसंधान कार्य किए। उन्होंने आईएसएस के रखरखाव और सुधार के लिए स्पेसवॉक भी किए। सुनीता ने इस दौरान महिला अंतरिक्ष यात्रियों में सबसे अधिक स्पेसवॉक समय का रिकॉर्ड भी बनाया। लंबे समय तक माइक्रोग्रैविटी में रहने के बाद, सुनीता और उनके साथियों को हड्डियों की घनत्व में कमी, मांसपेशियों की कमजोरी, दृष्टि समस्याएँ और अन्य शारीरिक चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। नासा के विशेषज्ञ उनकी स्वास्थ्य स्थिति की निगरानी करेंगे और आवश्यक पुनर्वास प्रदान करेंगे। सुनीता विलियम्स की यह वापसी न केवल उनकी व्यक्तिगत उपलब्धि है, बल्कि यह अंतरिक्ष अन्वेषण में मानव धैर्य, समर्पण और तकनीकी कौशल का प्रतीक है। उनकी यह यात्रा आने वाले अंतरिक्ष मिशनों के लिए मार्ग प्रशस्त करेगी और नए मानदंड स्थापित करेगी। भारतीय मूल की अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स (जन्म: 19 सितंबर 1965) ने अंतरिक्ष में अपनी उपलब्धियों से दुनिया भर में पहचान बनाई है। वह भारतीय मूल की दूसरी महिला हैं जिन्होंने अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के माध्यम से अंतरिक्ष की यात्रा की। उनकी पूर्व उपलब्धियों में 127 दिनों तक लगातार अंतरिक्ष में रहने का विश्व कीर्तिमान भी शामिल है। गुजरात से नासा तक का सफर सुनीता विलियम्स का पैतृक संबंध भारत के गुजरात के अहमदाबाद से है। उनके पिता डॉ. दीपक पांड्या अमेरिका में एक प्रतिष्ठित डॉक्टर थे, जिनका 2020 में निधन हो गया। बचपन से ही विज्ञान और उड़ान में रुचि रखने वाली सुनीता ने अमेरिकी नौसेना में अपनी सेवाएं दीं और वहां से पायलट, परीक्षण पायलट और पेशेवर नौसैनिक के रूप में खुद को स्थापित किया। अंतरिक्ष में ऐतिहासिक मिशन सुनीता विलियम्स ने 1998 में नासा में चयनित होकर अंतरिक्ष यात्री बनने का सफर शुरू किया। उन्होंने एसटीएस 116, अभियान 14, अभियान 15, एसटीएस 117, सोयुज टीएमए-05 एम, अभियान 32 और अभियान 33 जैसे महत्वपूर्ण मिशनों में भाग लिया। उन्होंने अब तक कुल 321 दिन 17 घंटे और 15 मिनट अंतरिक्ष में बिताए हैं। व्यक्तिगत रुचियां और सम्मान सुनीता विलियम्स सिर्फ एक अंतरिक्ष यात्री ही नहीं बल्कि एक मैराथन धाविका, गोताखोर, तैराक और पशु-प्रेमी भी हैं। वह धर्मार्थ कार्यों से भी जुड़ी रही हैं। उनके शानदार करियर के लिए उन्हें कई प्रतिष्ठित पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है।

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