बीबीसी वर्ल्ड सर्विस में ऑडियंस रिसर्च विभाग के प्रमुख डॉक्टर शांतनु चक्रवर्ती कहते हैं, "इस रिसर्च में यही सवाल है कि आम लोग फ़ेक न्यूज़ को क्यों शेयर कर रहे हैं जबकि वे फ़ेक न्यूज़ के फैलाव को लेकर चिंतित होने का दावा करते हैं. ये रिपोर्ट इन-डेप्थ क्वॉलिटेटिव और इथनोग्राफ़ी की तकनीकों के साथ-साथ डिजिटल नेटवर्क एनालिसिस और बिग डेटा तकनीक की मदद से भारत, कीनिया और नाइजीरिया में कई तरह से फ़ेक न्यूज़ को समझने का प्रयास करती है. इन देशों में फ़ेक न्यूज़ के तकनीक केंद्रित सामाजिक स्वरूप को समझने के लिए ये पहला प्रोजेक्ट है. मैं उम्मीद करता हूं कि इस रिसर्च में सामने आई जानकारियां फ़ेक न्यूज़ पर होने वाली चर्चाओं में गहराई और समझ पैदा करेगी और शोधार्थी, विश्लेषक, पत्रकार इन जानकारियों का इस्तेमाल कर पाएंगे. "
वहीं, बीबीसी वर्ल्ड सर्विस ग्रुप के निदेशक जेमी एंगस कहते हैं, "मीडिया में ज़्यादातर चर्चा पश्चिमी देशों में फ़ेक न्यूज़ पर ही हुई है, ये रिसर्च इस बात का मज़बूत सबूत है कि बाक़ी दुनिया में कई गंभीर समस्याएं खड़ी हो रही हैं, जहां सोशल मीडिया पर ख़बरें शेयर करते समय राष्ट्र-निर्माण का विचार सच पर हावी हो रहा है. बीबीसी की Beyond Fake news पहल ग़लत सूचनाओं के फैलाव से निपटने में हमारी प्रतिबद्धता की ओर एक अहम क़दम है. इस काम के लिए ये रिसर्च महत्वपूर्ण जानकारी उपलब्ध कराता है."
फ़ेसबुक, गूगल और ट्विटर सोमवार को (आज) अपने-अपने प्लेटफॉर्म्स पर फे़क न्यूज़ के बारे में चर्चा करेंगे.
इस रिसर्च रिपोर्ट पर आज ही बीबीसी दिल्ली समेत देश के सात शहरों में अलग-अलग भाषाओं में चर्चा आयोजित कर रहा है.
दिल्ली में हो रही चर्चा का प्रसारण बीबीसी वर्ल्ड सर्विस पर भारतीय समयानुसार रात के साढ़े नौ बजे होगा.
फ़ेसबुक, गूगल और ट्विटर सोमवार को (आज) अपने-अपने प्लेटफॉर्म्स पर फे़क न्यूज़ के बारे में चर्चा करेंगे.
इस रिसर्च रिपोर्ट पर आज ही बीबीसी दिल्ली समेत देश के सात शहरों में अलग-अलग भाषाओं में चर्चा आयोजित कर रहा है.
दिल्ली में हो रही चर्चा का प्रसारण बीबीसी वर्ल्ड सर्विस पर भारतीय समयानुसार रात के साढ़े नौ बजे होगा.
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