आज हम बात करने जा रहे है गुजरे जमाने की चर्चित अभिनेत्रियों में से एक निम्मी की। राज कपूर ने उन्हें अपनी फिल्म बरसात से ब्रेक दिया था। इसके बाद वो 1952 में आई फिल्म आन में भी नजर आई थीं। लंदन में इस फिल्म के प्रीमियर के बाद निम्मी को हॉलीवुड में काम करने का ऑफर आया, लेकिन उन्होंने इसे ठुकरा दिया था।
निम्मी 1963 में आई फिल्म ‘मेरे महबूब’ में भी नजर आई थीं। इस फिल्म से जुड़े एक फैसले के चलते निम्मी का पूरा करियर बर्बाद हो गया। वो फैसला क्या था और निम्मी को फिर लीड रोल मिलने क्यों बंद हो गए? क्यों उन्हें ‘द अनकिस्ड गर्ल ऑफ इंडिया’ कहा गया? जानते हैं उनकी लाइफ के कुछ दिलचस्प किस्से...
मां का हुआ निधन, निम्मी को नानी ने पाला
निम्मी का असली नाम नवाब बानो था। इनका जन्म 21 फरवरी, 1932 को आगरा में हुआ। पिता अब्दुल हकीम आर्मी में कॉन्ट्रैक्टर थे और मां वहीदा बहुत बडी सिंगर और एक्ट्रेस थीं। निम्मी जब 11 साल की थीं तो उनकी मां का निधन हो गया और वो अपनी नानी के साथ रहने लगीं।
निम्मी अपनी नानी के साथ खेतों में काम किया करती थीं। वो पढ़ाई के लिए कभी स्कूल नहीं जा पाईं। उन्होंने घर पर रहकर ही उर्दू सीखी। इसी दौरान पार्टीशन के बाद दंगे हुए और निम्मी अपनी नानी के साथ मुंबई शिफ्ट हो गईं।
निम्मी हिंदी सिनेमा के दिग्गज फिल्ममेकर महबूब खान से परिचित थीं। दरअसल, फिल्म इंडस्ट्री में काम करने के चलते निम्मी की मां की महबूब खान से जान पहचान थी। दोनों ने साथ में काम भी किया था। ऐसे में जब निम्मी मुंबई पहुंचीं तो महबूब खान को इसकी खबर लग गई।
उन्होंने निम्मी को फिल्म ‘अंदाज’ की शूटिंग दिखाने के लिए सेंट्रल स्टूडियो आने का न्यौता दिया। निम्मी स्टूडियो पहुंचीं तो राज कपूर फिल्म ‘अंदाज’ की शूटिंग कर रहे थे। राज कपूर की निम्मी पर नजर पड़ी। दोनों की मुलाकात महबूब खान ने कराई।
राज कपूर ने किया मजाक तो रो पड़ीं मम्मी
राज कपूर अपनी अगली फिल्म बरसात के लिए एक नए चेहरे की तलाश में थे। उन्हें निम्मी भा गईं। उन्होंने तुरंत निम्मी को बरसात में रोल ऑफर कर दिया। निम्मी का तब फिल्मों में आने का कोई इरादा नहीं था लेकिन वो राज कपूर के ऑफर को ठुकरा न सकीं और उन्होंने हां कह दिया। अगले दिन उन्होंने फिल्म के लिए स्क्रीन टेस्ट दिया। निम्मी काफी नर्वस थीं। उन्होंने राज साहब से पूछा कि उनका स्क्रीन टेस्ट कैसा था।
राज कपूर ने झट से कह दिया कि अच्छा नहीं था। ये सुनते ही निम्मी की आंखों से आंसू छलक पड़े और राज कपूर की हंसी छूट गई। उन्होंने निम्मी से कहा कि वो तो मजाक कर रहे थे।
निम्मी के साथ काम नहीं करना चाहते थे प्रेम नाथ
फिल्म बरसात में निम्मी को सेकंड लीड एक्ट्रेस के तौर पर प्रेम नाथ के अपोजिट कास्ट किया गया था। शुरुआत में प्रेम नाथ इससे बिल्कुल खुश नहीं थे कि एक न्यूकमर को उनकी हीरोइन बनाया गया है। लेकिन राज कपूर ने उन्हें समझा दिया था जिसके बाद वो मान गए थे।
निम्मी इस बात से दुखी हो गई थीं लेकिन राज कपूर ने उनका हौसला बढ़ाते हुए कहा था-देखना तुम एक दिन इन सबसे बहुत बड़ी स्टार बनोगी। इसके बाद जब पहले दिन शूटिंग खत्म हुई तो राज कपूर ने निम्मी के घर खूब सारी चॉकलेट पहुंचाई थीं। उन्होंने निम्मी से राखी भी बंधवाई थी।
इस फिल्म की शूटिंग के 15 दिन बाद ही निम्मी अन्य फिल्ममेकर्स का ध्यान खींचने लगी थीं। उनके पास ऑफर्स की लाइन लग गई थी लेकिन उन्होंने ये सभी ऑफर ठुकरा दिए थे। उन्होंने ऑफर्स ठुकराने के पीछे तर्क दिया कि वो बरसात के प्रीमियर तक इंतजार करना चाहती हैं। उसके बाद ही आगे के करियर को लेकर कोई फैसला लेंगी। बरसात 1949 में रिलीज हुई और एडल्ट सर्टिफिकेट के बावजूद ये ब्लॉकबस्टर साबित हुई थी।
बरसात की सफलता के बाद निम्मी को सिर्फ सपोर्टिंग रोल ही ऑफर हुए थे लेकिन उन्होंने एक बार फिर सब रोल ठुकरा दिए। उन्हें समझ नहीं आ रहा था कि वो आगे क्या करें क्योंकि वो बरसात से मिली फीस भी खर्च कर चुकी थीं।
इसी दौरान उन्होंने फिल्म ‘जलते दीप’ ऑफर हुई जो कि 1950 में रिलीज हुई थी। इसके बाद निम्मी ने बावरा, राज मुकुट और वफा जैसी फिल्में भी साइन कर लीं जिनमें वो लीड हीरोइन थीं।
ऐसे मिला ‘द अनकिस्ड गर्ल ऑफ इंडिया’ का टैग
1952 में आई आन भी कई मायनों में निम्मी के करियर में खास रही। ये भारत की पहली टेक्नीकलर फिल्म थी जो कि वर्ल्डवाइड रिलीज होने वाली भी इंडिया की पहली फिल्म थी। इस फिल्म का प्रीमियर लंदन के रियाल्टो थिएटर में हुआ था जहां कुछ विदेशी फिल्ममेकर्स और कलाकार भी आए थे।
इनमें से एक एक्टर एरल लेजली थॉमसन फ्लिन भी थे। एरल निम्मी से मिले तो विदेशी रिवाज के मुताबिक उन्होंने उनका हाथ चूमने की कोशिश की लेकिन निम्मी तुरंत पीछे हट गईं।
उन्होंने कह दिया, देखिए मैं एक हिंदुस्तानी लड़की हूं, आप मेरे साथ ये सब नहीं कर सकते। इसके बाद अगले ही दिन अखबारों ने निम्मी के लिए लिखा था, द अनकिस्ड गर्ल ऑफ इंडिया।
वैसे, आन के प्रीमियर पर कुछ फिल्ममेकर्स ने निम्मी को हॉलीवुड फिल्म भी ऑफर की थी लेकिन उन्होंने इसे ठुकरा दिया था।
दरअसल, हॉलीवुड फिल्मों में लवमेकिंग सींस होते हैं, जिन्हें करने में निम्मी असहज थीं इसलिए डर के मारे उन्होंने कोई भी विदेशी फिल्म कभी साइन ही नहीं की।
एक गलती से बर्बाद हुआ करियर
निम्मी 60 के दशक में अपने करियर में काफी अच्छा काम कर रही थीं। वो उस दौर की हाईएस्ट पेड एक्ट्रेसेस में से एक थीं। फिल्मों में उनकी जोड़ी राज कपूर, देव आनंद और दिलीप कुमार के साथ जमी लेकिन एक गलती उन पर भारी पड़ गई। दरअसल, ये किस्सा 1963 की फिल्म मेरे महबूब से जुड़ा हुआ है।
फिल्म के डायरेक्टर हरमन सिंह रवैल ने निम्मी को लीड रोल के लिए अप्रोच किया था। लेकिन निम्मी ने लीड हीरोइन के बजाए फिल्म के हीरो राजेंद्र कुमार की बहन का रोल करने की जिद पकड़ ली।
ये एक सेकंड लीड किरदार था लेकिन निम्मी इसी रोल के लिए अड़ गईं और उन्होंने किसी की बात नहीं सुनी। आखिरकार उन्हें ये रोल देने के बाद डायरेक्टर हरमन सिंह ने लीड रोल में एक्ट्रेस साधना को कास्ट किया। फिल्म सुपरहिट रही और साधना का करियर चमक गया।
वहीं, निम्मी को इस फिल्म के बाद सिर्फ सेकंड लीड रोल ही ऑफर होने लगे और बतौर लीड हीरोइन उन्हें फिल्में मिलनी बंद हो गईं जिसके बाद धीरे-धीरे उनका करियर खत्म हो गया।
दिलीप कुमार को करती थीं पसंद
कई फिल्मों में साथ काम करते हुए निम्मी दिलीप कुमार को पसंद करने लगी थीं। एक इंटरव्यू में उन्होंने ये बात कबूल भी थी और कहा था, दिलीप कुमार एक चुंबक की तरह थे, जिनकी तरफ हर कोई खिंचा चला आता था, मैं भी उनमें से एक थी। एक महारानी तो दिलीप कुमार के लिए अपना सब कुछ छोड़कर आने को तैयार थीं। मैं इस बात को नहीं झुठलाऊंगी कि मुझे भी वो बहुत पसंद थे। उनके आशिक हम भी थे। मैं उनकी फैन भी थी। लेकिन मधुबाला और दूसरी खूबसूरत महिलाएं उनसे मोहब्बत करती थीं, मैं उनकी बराबरी कैसे कर सकती थी। मेरा दिल बुरी तरह से टूटा था, मैंने कुछ ऐसी चाहत रखी जो कभी मुझे मिल नहीं सकती थी। यही सोचकर मैं उनसे दूर रही।
जब महबूब खान की मदद के लिए नोटों के बंडल लेकर पहुंचीं
निम्मी फिल्ममेकर महबूब खान से बहुत अच्छी बॉन्डिंग शेयर करती थीं। ये किस्सा तब का है जब महबूब खान की फिल्म मदर इंडिया को भारत की ओर से ऑस्कर में भेजा गया था। ये भारत से ऑस्कर में भेजी गई पहली फिल्म थी लेकिन जब इसे अवॉर्ड नहीं मिला तो महबूब खान काफी दुखी हो गए थे।
उन्हें इस सदमे की वजह से हार्ट अटैक तक आ गया था क्योंकि मदर इंडिया बनाने में उन्होंने तकरीबन 40 लाख रुपए खर्च कर दिए थे। इस वजह से उन्हें आर्थिक तंगी भी झेलनी पड़ गई थी। जब निम्मी को महबूब खान की स्थिति मालूम पड़ी तो वो दुखी हो गईं।
राइटर एस अली रजा से की शादी
निम्मी ने 1965 में हिंदी फिल्मों के राइटर एस अली रजा से शादी की थी। दोनों इससे पहले गुपचुप रिलेशन में थे। दोनों की प्रेम कहानी को अंजाम तक पहुंचाने में निम्मी के हेयरड्रेसर और कॉमेडियन मुकरी ने अहम भूमिका निभाई थी।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, रजा के पिता इस शादी के खिलाफ थे इसलिए शादी के बाद भी दोनों ने कई सालों तक अपने रिश्ते को छुपाया था। शादी के बाद निम्मी मां नहीं बन सकीं तो इससे वो काफी परेशान रहती थीं। निम्मी ने फिर अपनी बहन के बेटे को गोद लिया था जिसका नाम परवेज है।
निम्मी रजा के साथ मुंबई के वर्ली इलाके में स्थित एक बंगले में रहती थीं। रजा ने निम्मी के साथ दो फिल्मों की प्लानिंग की थी। दोनों ही फिल्मों में उन्होंने निम्मी को बतौर हीरोइन कास्ट किया था। इनमें से ‘एक घूंघट के पट खोल’ थी जो मुहूर्त शॉट के बाद आगे नहीं बढ़ सकी।
वहीं, दूसरी फिल्म ‘एक अकेली’ थी जिसकी कुछ रील्स शूट हुई थीं लेकिन फिर फिल्म बंद हो गई। इस तरह निम्मी को लेकर कोई फिल्म बनाने की रजा की तमन्ना अधूरी रह गई। इसके बाद रजा ने किसी और फिल्म में निम्मी को काम नहीं करने दिया और नतीजतन निम्मी अपने करियर में पिछड़ने लगीं।
रजा चाहते थे कि निम्मी घर संभालें। निम्मी पति के सामने कुछ न कह सकीं और घर के कामों में व्यस्त रहने लगीं।
एक इंटरव्यू में उन्होंने अपना फिल्मी करियर छोड़ने पर कहा था, मैं बेवकूफ थी जो अपना सारा काम छोड़ दिया। मैंने ऐसा इसलिए किया था क्योंकि मुझ पर शादी का भूत सवार था इसलिए मैंने काफी फिल्में ठुकरा दी थीं और यहां तक कि हीरो की बहन के रोल भी करने लग गई थी।
2007 में रजा ने एक ऑपरेशन में अपनी आंखों की रोशनी खो दी जिसके बाद उनकी मौत हो गई।
इसके बाद निम्मी ने अपना बंगला छोड़ दिया और जुहू में दूसरी जगह शिफ्ट हो गईं। उनका बेटा परवेज मैनचेस्टर में सैटल हो चुका था इसलिए निम्मी अकेले ही मुंबई में रह रही थीं। उनकी दोस्त निशी लगातार उनके हालचाल पूछने उनके घर आया करती थीं।
निशी ने एक इंटरव्यू में खुलासा किया था कि एक्टिंग छोड़ने के बाद निम्मी को मेकअप करना बिल्कुल पसंद नहीं था तब भी वो बेहद खूबसूरत लगा करती थीं। बुढ़ापे में बालों को सिर्फ मेहंदी से रंगना उन्हें पसंद था।
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