मैं भी आगे बढ़ना चाहती हूँ
ऊँचे अनंत आसमानों में
मैं भी उड़ना चाहती हूँ
तेरे हर सपनों को माँ
मैं भी पूरा करना चाहती हूँ।
समाज में व्याप्त कमियों को
मिटाना चाहती हूँ
पापा का अभिमान बनना चाहती हूँ
स्वयं पर निर्भर
रहना चाहती हूँ
मैं भी आगे बढ़ना
चाहती हूँ माँ
मैं भी शिक्षा ग्रहण
करना चाहती हूँ माँ
अपने भय को मिटाना
चाहती हूँ माँ
लोगों के रूढ़िवादी सोच को
कुचलना चाहती हूँ माँ
जीवन के हर कठिन डगर पर
अकेला चलना चाहती हूँ.. माँ
मैं भी कागज -कलम
पकड़ना चाहती हूँ
मैं भी अपने कठिन परिश्रम से
अपनी पहचान बनाना चाहती हूँ माँ
जग में तेरा नाम हो, इसलिए
आगे बढ़ना चाहती हूँ
मैं भी पढ़ना चाहती हूँ।
धन्यवाद
काजल साह
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