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09/06/2024 Kajal sah Awareness Views 362 Comments 0 Analytics Video Hindi DMCA Add Favorite Copy Link
प्रेम असली है या नकली?

प्रेम निस्वार्थ, सम्मान, विश्वास एवं समर्थन का प्रतीक है। प्रेम वह अनुपम और सौंदर्य से पूर्ण भावना है... जो एक दिल को दूसरे दिल से निस्वार्थ एवं स्वस्थ रूप से जोड़ता है। लेकिन अत्यधिक लोग समझते है.. कि प्रेम तो खूबसूरत इंसान से होता है। जिनका तन, जिनका सूरत सुन्दर हो.. उनसे ही प्रेम मुमकिन है। क्या इसे प्रेम कहेंगे? प्रेम पवित्रता एवं स्वंत्रता का पहचान है। किसी के तन और सूरत को देखकर.. जो कहते है कि प्रेम है। वास्तव में वह प्रेम नहीं कामवासना है। आज मैं आपको इस निबंध के माध्यम से यह बताने वाली हूं कि अगर आप किसी से प्रेम करते है। क्या आपका या उनका प्रेम असली या नकली? महत्वपूर्ण बिन्दुओ को आज मैं साझा करना चाहती हूं। 1. सम्मान : प्रेम पवित्रता एवं स्वंत्रता का प्रतीक है। सच्चा प्यार हमेशा सम्मान पर आधारित होता है।आपका साथी और आप एक - दूसरे की भावनाओं, विचारों और राय का सम्मान करते है। जिस रिश्ते में सम्मान का अभाव रहता है.. वो रिश्ता वास्तविक नहीं! झूठा प्रेम अर्थात नकली प्रेम में सम्मान की कमी होती है। एक - दूसरे को नीचा दिखाना,विचार एवं फैसलों को महत्व नहीं देना, अपने पार्टनर के लिए गलत शब्द उपयोग करना। ऐसे रिश्ते से शीघ्रता से दूर हो जाना चाहिए। प्रेम वह शक्तिशाली वृक्ष है.. जिसका जड़ सम्मान है। जड़ का मजबूत होना अर्थात एक - दूसरे के प्रति सम्मान का भावना मजबूत होना अनिवार्य है। 2. विश्वास : प्रेम का दूसरा स्तम्भ विश्वास है। आज दुनिया का हर रिश्ता विश्वास पर टिका हुआ है। वास्तविक प्रेम में आपके पार्टनर और आप अपने साथी पर अटूटता एवं अतुलनीय रुप विश्वास करते है। विश्वास की ताकत से ही रिश्ते में ईमानदारी, निस्वार्थ इत्यादि अनुपम भावना का विकास होता है। नकली प्रेम का बुनियाद इसलिए कमजोर होता है.. क्युकी रिश्ते में शक और अविश्वास रहता है। हर बात पर शक करना, हर गतिविधियों पर नज़र रखना इत्यादि। यह सच्चे प्रेम की निशानी नहीं है। उदाहरण : मेरी एक दीदी थी.. बहुत अच्छी बहन और मित्र। लेकिन हम सभी अक्सर झगड़े होते रहते थे। क्या आप जानना चाहेंगे कि कारण क्या था? कारण यह था कि मैं उनपर विश्वास नहीं करती थी.. हमेशा उनको शक के दृष्टि देखा करती थी। इसलिए हमारा रिश्ता जल्द टूट गया। 3. संचार : प्रेम का तीसरा स्तम्भ है.. प्रभावशाली और ईमानदारी से कम्युनिकेशन करना।वास्तविक प्रेम में खुले और ईमानदारी से पार्टनर्स एक - दूसरे के साथ संचार करते है। जब भी किसी बात पर शंका होता है.. तब वास्तविक प्रेम में लड़कर नहीं बल्कि सब्र से एक - दूसरे से पार्टनर्स सब्र से सुनते है। सच्चे प्रेम में डर, निंदा का कोई स्थान नहीं है। लेकिन झूठा प्रेम में प्रभावशाली कम्युनिकेशन का अभाव रहता है। एक - दूसरे से पार्टनर अपनी भावनाओं को के साथ व्यक्त नहीं करते.. अपितु हमेशा गलतफहमी और झगड़े होते रहते है। जिससे यह तीसरा स्तम्भ कमजोर हो जाता है। और एक दिन रिश्ता का अंत हो जाता है। 4. समर्थन :प्रेम का चौथा स्तम्भ समर्थन है। वास्तविक रिश्ते में प्रेमी - प्रेमिका एक - दूसरे को आगे बढ़ने के लिए मदद एवं प्रोत्साहित करते है। एक - दूसरे के लक्ष्य को प्राप्त करने में सच्चा प्रेम सदैव साथ निभाता है। नकली प्रेम वह कांटा है..जिसके हर चुभन से दर्द, बहुत पीड़ा होती है। झूठा प्रेम केवल तन एवं सूरत देखकर किया जाता है। इसमें समर्थन अर्थात एक - दूसरे के सपनों को पूर्ण करने में कोई स्थान नहीं है।नकली प्रेम अर्थात कामवासना है। जो प्रेम तन और सूरत देखकर होता है.. वह प्रेम नहीं.. वह सच्चा रिश्ता नहीं। अपितु उस रिश्ते में छीपा स्वार्थ एवं घिनौनापन है। 5.ख़ुशी : वास्तविक प्रेम का पाँचवा आधार ख़ुशी है। एक - दूसरे के साथ हैप्पीनेस शेयर करना और एक - दूसरे के हैप्पी मोमेंट्स में शामिल होना.. सच्चे प्रेम की निशानी है। नकली रिश्ते में रहने से आपका तनाव, चिंता और असुरक्षा महसूस होती है। 6. दूरदार्शनिक : वास्तविक प्रेम में प्रेमी और प्रेमिका का सबसे सुंदर गुण पाया जाता.. वे visionary होते है। सच्चे रिश्ते में पार्टनर अपने प्रेजेंट को बेहतरीन बनाते है.. अपने भविष्य के लिए प्रभावशाली योजनाएँ बनाते है.. उन लक्ष्य तक पहुँचने के लिए वे दोनों कड़ी से कड़ी मेहनत करते है। अत्यधिक रिश्ते में भविष्य को लेकर महत्वपूर्ण योजनाओं का अभाव रहता है। यह कुछ तरीका है.. जिसके माध्यम से आप पहचान पाएंगे कि आपका प्रेम सच्चा है या झूठा? और आपके पार्टनर का। आशा करती हूं.. यह निबंध आपको अच्छा लगा होगा। धन्यवाद काजल साह

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