The Latest | India | [email protected]

57 subscriber(s)


K
07/10/2024 Kajal sah General Views 591 Comments 0 Analytics Video Hindi DMCA Add Favorite Copy Link
कविता : मुजफ्फनगर

हादसे से लौटकर आई वह औरत माचिस माँगने गई है पड़ोसन से दरवाजे पर खड़ी खड़ी बतिया रही हैं दोनों। नहीं सुनाई देती उनकी आवाज नहीं स्पष्ट होता आशय पर लगता है चूल्हे - चौके से हटकर कुछ और ही मुद्दा है बातों का। फटी आँखों, रोम - रोम उद्वेलित है श्रोता न जाने क्या - क्या कह रही हैं नाचती अँगुलियाँ तनी हुई भंवें जलती आँखें और मटियाये कपड़ों की गंध। न जाने क्या कुछ कह रहे हैं चेहरे के दाग फड़कते नथुने सूखे आँसुओं के निशान आहत मर्म और रौंदी हुई देह। नहीं सुनाई देती उनकी आवाज नहीं स्पष्ट होता आशय दरवाजे पर खड़ी - खड़ी बतियाती हैं दोनों। माचिस लेने गई थी औरत आग दे आई है। धन्यवाद कवि : शेखर जोशी। न रोको उन्हें शुभा के संग्रह से एक कविता।

No article(s) with matching content

 WhatsApp no. else use your mail id to get the otp...!    Please tick to get otp in your mail id...!
 




© mutebreak.com | All Rights Reserved