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21/11/2024 Kajal sah General Views 147 Comments 0 Analytics Video Hindi DMCA Add Favorite Copy Link
कविता : घर छोड़ते हुए

उस दिन कैसा लगा होगा जिस दिन अपना घर छोड़ना पड़ा होगा भरे हुए मन से जब हुए होंगे विदा आँखों में पानी भरा होगा बाहें फैलाकर मिलते हुए जब अपनों की गरमाहट महसूस की होगी घर के दरवाजे तक लोग भारी मन से सड़क तक आए होंगे बूढ़े - युवा - छोटे सबने मिलकर यात्रा की शुभकामनाएं देते हुए जल्दी लौट आने को कहा होगा शुभ संकेतों के चिन्ह अंकित किए होंगे सामने से कोई सौभग्यवती गुजरी होगी मन को कठोर करते नजरें चुराए अपने मोह को पीछे छोड़ते जब कोई आगे बढ़ गया होगा वह ड्योढ़ी पर झुक कर कुछ देर रुक गया होगा उसने अपनी माटी को प्रणाम किया होगा जिसकी गंध नासिका में बसी होगी तब वह मुंह छिपाकर अवश्य रोया होगा ऐसे में जो कोई घर छोड़कर गया होगा अपना घर अपने साथ ले गया होगा। (पत्तियां करतीं स्नान संग्रह से 2003) मानिक बच्छावत

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