मेरे मन की अथाह शांति उनके लिए नीरसता थी
मेरी संतुष्टि को वे महत्वाकांक्षा की कमी कहते रहे
मैंने तन्ख्वाह पर बा-ख़ुशी जीवन बसर किया
उन्होंने इसे स्त्रियोचित गुण बताया
(अगर मैं पुरूष होती तो वे मुझे डरपोक कहकर खिल्ली उड़ाते।)
मैंने कुतर्कों के जवाब में चुप्पी साधी
मैं कायर और अज्ञानी कहलाई
मैंने मूर्खों से उचित दूरी बनाए रखी
मूर्खों की सारी जमात ने मिलकर मुझे घमंडी का तमगा पहनाया ।
मेरी यायावरी से मैं उनकी ईर्ष्या का पात्र बनी
जो कुर्सी के मोह में कभी लंबी छुट्टी न ले सके
मेरी आज़ाद तबीयत ने उनकी छिपी हुई कुंठा को निर्ममता से बाहर निकाला
और मैं उनकी महफिलों में गॉसिप का मुद्दा बनी
वे चाहते रहे कि या तो मैं भी उनके जैसी हो जाऊं
या मैं उन्हें अपने जैसा समझती रहूं
वे जटिल जीवन जीते हुए सरल नज़र आना चाहते हैं
मैं उनकी सरलता की गौरव-गाथा सुनते हुए अपनी कुख्यात चुप्पी साध लेती हूँ।
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