अध्यात्म एक ऐसा अनुपम एवं सौंदर्य मार्ग है, जहाँ जाने से मन शांत, बुद्धि एकाग्र एवं समग्र जीवन शुद्ध हो सकता है। इसलिए किसी भी युवा को समग्र रूप से सशक्त बनाना अर्थात मानसिक, शारीरिक एवं अध्यात्मिक रूप से सशक्त बनाना है।
अध्यात्मिकता जीवन का बहुत महत्वपूर्ण हिस्सा है और यह व्यक्ति को व्यक्तिगत हर्ष, मानसिक शांति एवं शारीरिक संतुलन को बनाये रखने में सहायक होती है।आज इस निबंध मैं आप सभी के साथ शेयर करने वाली हूं कि अध्यात्म क्यों जरुरी हैं?सम्पूर्ण जीवन को स्नेहपुर्ण बनाने के लिए अध्यात्म क्यों जरुरी हैं?spirituality प्रत्येक मनुष्य के लिए क्यों जरूरी हैं? इन सभी महत्वपूर्ण बिंदु पर चर्चा होगी।
1. आंतरिक : अध्यात्म में आना अर्थात मन की शांति प्राप्त करने की दिशा की ओर बढ़ना। बाह्य ख़ुशी से सबसे महत्वपूर्ण है आंतरिक ख़ुशी। आज लोग बाहर से भले ही खुश है लेकिन वे अंदर से खुश नहीं है। चिंता, तनाव, तकलीफ इत्यादि की वजह से चिंतित है। लेकिन जब आप भगवान पर भरोसा करने लगते हैं एवं अपना धीरे - धीरे कदन अध्यात्म की ओर बढ़ाने लगते हैं, तब आपको आंतरिक शांति प्राप्त हो सकती है।
Spirituality मानसिक शांति, संतुलन एवं हर्ष प्रदान करती है। इसलिए सच्चे मन से ईश्वर को याद करें।
2. उद्देश्य : बिना लक्ष्य के जीवन महत्वहीन है। सार्थकपूर्ण एवं स्पष्टपूर्ण लक्ष्य जीवन में रहना अत्यंत आवश्यक है। अध्यात्म मन को शांति एवं तन को सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करती है। अध्यात्म व्यक्ति को अपने जीवन का वास्तविक उद्देश्य समझने में मदद करती है।
3. कमी एवं सुधार :जीवन सुख और दुख का मेल है।कठिन परिस्थितियों में हमें हमेशा हिम्मत से हमें लड़ना चाहिए। हर परिस्थितियों का सामना हर्ष से करने में अध्यात्मिक शक्ति की बहुत महत्वपूर्ण भूमिका है।
तनाव, चिंता, अवसाद इत्यादि धीरे -, धीरे कम हो सकता है, अगर हम सच्चे मन एवं पवित्र चित्त से ईश्वर की आरधना करें। तनाव, चिंता इत्यादि स्वास्थ्य के लिए अत्यंत घातक है और अगर हम अपने स्वास्थ्य को स्वस्थ रखना चाहते हैं, तब अध्यात्म की ओर बढ़ना अत्यंत आवश्यक है। समग्र स्वास्थ्य अर्थात मानिसक एवं शारीरिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में अध्यात्म सहायक होती है।
4. सकारात्मक : विभिन्न धर्म में अनेक पवित्र ग्रंथ है। उन ग्रंथों में लिखी हुई विचारों को जीवन में अपनाकर हम एक सुखद एवं सफल जीवन का निर्माण कर सकते हैं। अध्यात्म में केवल भगवान की ही आरधना नहीं की जाती, अपितु उस धर्म में मौजूद धर्म ग्रंथ, किताबों का भी अध्ययन किया जाता है। जैसे :सबसे प्राचीन सनातन धर्म में पवित्र ग्रंथ है, जैसे - भगवत गीता, वेद, रामायण, पुराण, रामायण इत्यादि। पवित्र ग्रंथ में लिखी बातों को अपने जीवन में हमें आत्मसात करना चाहिए और अन्य के जीवन को भी बेहतर बनाने का प्रयास करना चाहिए।
अध्यात्म व्यक्ति को सकारात्मक दृष्टिकोण और सोच विकसित करने में मदद करती हैं।इसलिए अध्यात्म सबसे पवित्र एवं अनुपम मार्ग है। मन को पवित्र, चित्त को स्वच्छ एवं हृदय को निर्मल बनाने के लिए अध्यात्म अनिवार्य है।
5. गुण : अवगुणों को दूर करके सदगुणों से जीवन को पूर्ण करने सबसे सरल एवं उत्तम मार्ग है अध्यात्म।
बुरे व्यक्ति को सही मार्ग पर ले जाने की शक्ति अध्यात्म है। कुविचार को सुविचार बनाने की शक्ति अध्यात्म है। चंचल मन को एकाग्र मन में परिवर्तन करने की शक्ति अध्यात्म है। असंतोष की भावना को संतोष भावना में परिवर्तन करने की शक्ति है अध्यात्म में।
6. उपयोग : समय सबसे बलवान एवं शक्तिशाली है।जब हम अध्यात्म में प्रवेश करते हैं, तब हम अपने समय का दुरूपयोग करना छोड़ देते हैं, क्योंकि इस धरती पर हम कर्म करने के लिए आते हैं। समय एवं ऊर्जा का सदुपयोग करना अध्यात्म हमें सिखाती है। जिससे जीवन अधिक सार्थकपूर्ण एवं उद्देश्यपूर्ण बन जाती है।
यह कुछ महत्वपूर्ण लाभ है। अगर हम अध्यात्म में अपना कदम बढ़ाते हैं। अध्यात्म केवल बुजुर्गों के लिए नहीं है बल्कि सब उम्र के लोगों के लिए है। प्रत्येक माता - पिता का यह मूल कर्तव्य है कि वे अपने बच्चों को आरम्भ से ही अध्यात्म की ओर आगे बढ़ना सिखाये। जिससे वे समग्र रूप से मजबूत बन पाएंगे। उपरोक्त लाभ के अलावा है - नैतिक मूल्यों का पालन, अध्यात्मिक आनंद, आपसी रिश्तों में सुधार, मानसिक स्पष्टता एवं आत्मनिर्भता।
आशा करती हूं कि यह निबंध आपको अच्छा लगा होगा।
धन्यवाद
काजल साह
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