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15/03/2025 Kajal sah Awareness Views 249 Comments 0 Analytics Video Hindi DMCA Add Favorite Copy Link
"मैं नहीं कर सकता / सकती हूं"

मनुष्य अपने विचारों से निर्मित प्राणी है ,जैसा वह सोचता है वैसा वह बन जाता है।मनुष्य अपने विचारों से कर्म करता है और कर्म से ही मनुष्य का चरित्र निर्मित होता है ।इसलिए कहा जाता है कि मनुष्य को अपनी सोच , दृष्टिकोण और कर्म को सदैव सकारात्मक रखना चाहिए,क्योंकि इन तीनों आयामों से ही सुदृढ़ एवं सुविकसित चरित्र निर्मित होता है। किसी भी देश की सबसे बड़ी शक्ति वहां के युवाओं का वर्ग होता है अर्थात् भारत की शक्ति यहां के युवाओं का वर्ग है ।लेकिन आज अधिकांश युवा हार मान रहे हैं।शिक्षा,खेल,राजनीति ,तकनीकी इत्यादि विभिन्न क्षेत्रों में हार मान रहे हैं अर्थात अधिकांश युवाओं का वर्ग कह रहा है कि " मैं नहीं कर सकता हूं/ मैं नहीं कर सकती हूं। ऐसे भारत के अधिकांश युवा क्यों कह रहे हैं? आज इस निबंध मैं आप सभी के साथ इसके पीछे के कारणों को बताऊंगी। " मैं नहीं कर सकता" ( I can not do it) यह एक नकारात्मक विचार का प्रतीक है,जो युवाओं के आत्मज्ञान,आत्मविश्वास एवं आत्मनिर्भरता एवं सफलता में बाधा बन जाता है ।चलिए जानने का प्रयास करते हैं कि इसके पीछे क्या कारण है? 1. कमी: असंभव से संभव को बदलने की सशक्त शक्ति मनुष्य में होता है।यही कारण है कि पृथ्वी पर उपस्थित माइक्रोऑर्गनिज्म जीवन से लेकर विशालतम जीवों में से मनुष्य सबसे श्रेष्ठतम प्राणी है । प्रत्येक मनुष्य को अपनी क्षमता को समझने की नितांत आवश्यकता है। आज अधिकांश युवा इसलिए हार मान रहे हैं और कह रहे हैं कि " मैं नहीं कर सकता/ सकती हूं। इसका मूल कारण है आत्मविश्वास की कमी। आत्मविश्वास किसी भी मनुष्य का सशक्त अस्त्र है और यही अस्त्र से मनुष्य उन विकारों को दूर कर पाता है, जो उसके सफलता में बाधक बन रहा है।आज अधिकांश युवाओं को स्वयं पर विश्वास ही नहीं है ।अपनी क्षमता ,अपनी कोशिश और अपनी मेहनत पर।आत्मविश्वास की कमी के वजह से मनुष्य हार मान रहा है।आत्मविश्वास सफलता की नींव है ।जितने भी सफल व्यक्ति हुए है और होंगे भी ,सफलता की प्राप्ति में आत्मविश्वास की सबसे बड़ी भूमिका है ,क्योंकि आत्मविश्वास के बिना हम जीवन में कभी आगे नहीं बढ़ सकते है और नकारात्मक विचारों से हमेशा भरे रहेंगे।इसलिए अपनी हार मत मानिए और सबसे बड़ा अस्त्र आत्मविश्वास पर भरोसा करना सीखिए। 2. परवरिश और पालन –पोषण: आपने एक अमीर खान की एक फेमस मूवी " तारे ज़मीन पर " देखी ही होगी? जिसमें ईशान नाम का एक कैरेक्टर रहता है ।ईशान के पैरेंट्स ईशान की एबिलिटी को नहीं समझते थे,जिसकी वजह से ईशान के जीवन में नकारात्मक प्रभाव पड़ा,लेकिन जब उसके जीवन में एक ऐसे टीचर आए,जिन्होंने उनके अन्य गुण को समझा ,वह है चित्रकला।लेकिन रियालिटी में कुछ प्रतिशत तक ही संभव । बच्चों को शुरू से माता – पिता,गुरु– जन जैसी परवरिश एवं शिक्षा देते हैं,वैसे ही बच्चे जब बड़े होते हैं,उनका विचार बनता है।इसलिए यह अत्यंत जरूरी है कि माता – पिता अपने बच्चों को अच्छी परवरिश दे ।ऐसा परवरिश प्रदान करें,जिससे उनके विचार,कर्म एवं चरित्र बनने की दिशा की ओर उन्मुख हो। बच्चे परिस्थितियों से हार मानना नहीं बल्कि कठिन परिस्थितियों से लड़ने के लिए तैयार रहे हैं। यही मजबूत बच्चें कल के सशक्त युवा बन सकते हैं।जो यह नहीं कह पाएंगे कि " मुझसे नहीं होगा"। 3.अस्पष्टता एवं नेगेटिव चर्चा : समय ही जीवन है अर्थात् अगर हम समय बर्बाद कर रहे हैं,तब हम अपने जीवन को बर्बाद कर रहे हैं।समय का सदुपयोग हम तब ही कर सकते हैं,जब जीवन में स्पष्ट लक्ष्य हो अर्थात् लक्ष्य के प्रति स्पष्टता ।यह अत्यंत आवश्यक है।आज अनेक युवा इसलिए हार मान रहे हैं और कह रहे हैं कि " मैं नहीं कर सकता/ सकती हूं।क्योंकि वे अपने लक्ष्य के प्रति स्पष्ट नहीं है ।उनका वह लक्ष्य होता ही नहीं है ,इसलिए वे अगर परीक्षा में असफल हो जाते हैं,तब गलत कदम भी उठा लेते है।इसलिए प्रत्येक युवा को खुद को जानना चाहिए अर्थात आत्मनिरीक्षण एवं आत्मविश्लेषण करना चाहिए। और ऐसा भी है कि अनेक युवा को नहीं पता होता है कि उन्हें क्या करना है ,जीवन में ? इसलिए वे " मैं नहीं कर सकता" इस वाली मानसिकता में फंस जाता है। सार्थक एवं स्पष्ट लक्ष्य तय कीजिए एवं उनके प्रति एकाग्रता बनाएं रखें। ऐसे लोगों ,चैनल्स इत्यादि से युवाओं को दूर हो जाना चाहिए,जो उनके विचारों को नकारात्मक आकार प्रदान कर रहा है,क्योंकि इनके नकारात्मक प्रभाव की वजह से अनेक युवा नेगेटिव सेल्फ टॉक करते हैं।युवाओं को यह बात पर ध्यान देना चाहिए कि युवा खुद से क्या बात कह रहे हैं? उन बातों को पन्नों में लिखकर उनका विश्लेषण करना चाहिए। नेगेटिव सेल्फ टॉक हमारे व्यक्तित्व को प्रभावित करता है । 4. प्रयास ,मेहनत एवं अनुशासन: किसी भी लक्ष्य की प्राप्ति के लिए कड़ी मेहनत ,अनुशासन एवं प्रयास करना अत्यंत जरूरी है ।ये तीनों ही सफलता के आधार है।आज अनेक युवा मेहनत करना नहीं चाहते ,अनुशासन का पालन नहीं करना चाहते एवं लक्ष्य के लिए निरंतर प्रयास नहीं करना चाहते।तब युवा आगे बढ़ेंगे कैसे ? इसलिए अनेक युवा हार मन रहे हैं और " मैं नहीं कर सकता/ सकती हूं" यह मानसिकता को अपनाने लगते हैं। ए मेरे देश के युवाओं का वर्ग – उठो,जागो और अपने लक्ष्य की प्राप्ति के लिए मेहनत एवं प्रयास करो एवं आत्म – अनुशासन से जीवन जियो।एक दिन जरूर जीत तुम्हारी ही होगी। 5.सही मार्गदर्शन: अगर युवाओं को सही प्रेरणा या मार्गदर्शन न मिले,तब वह युवा खुद को कमजोर समझने लगता है ।इसलिए युवाओं को सही मार्गदर्शन एवं प्रेरणा का चयन करना चाहिए। हर युवा में शक्ति है।यह शक्ति संपूर्णता ,मजबूती एवं उन्नति की शक्ति है।भरोसा कीजिए,मेहनत कीजिए और निरंतर कीजिए।युवा जरूर एक दिन विनर बनेंगे। लेकिन यह तब यह संभव है ,जब युवा यह माइंडसेट को जीवन से दूर करें कि " मैं नहीं कर सकता/सकती हूं। आशा करती हूं कि यह निबंध आपको अच्छा लगा होगा। धन्यवाद काजल साह

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