नारी तुम उठा लो तलवार अब,
स्वयं अपनी लज्जा की रक्षा में
पानी सिर से गुजर चुका है
नहीं आया अब भी कोई तेरी रक्षा में
वहशी दरिंदों को बता दो आज तुम
मां दुर्गा चंडी,काली की शक्ति हो तुम
नारी तुम खुद को सशक्त करो इतना,
नजर उठा देख न पाये कोई तेरी ओर
नारी ज्वाला भर लो तुम आंखों में
दरिंदे कांप उठे देख री आंखों में
चीर दो सीना जिसने छेड़ा तुमको
मार दो डर को तुम अपनी सांसों में
पानी सिर से गुजर चुका है ,
नहीं आया अब भी कोई तेरी रक्षा में
नारी तुम उठा लो तलवार अब
स्वयं अपनी लज्जा की रक्षा में।
धन्यवाद
कवि: प्रेम सिन्हा
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