झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) का 13वां दो दिवसीय महाधिवेशन रविवार को संपन्न हो गया। इस महाधिवेशन में पार्टी के संस्थापक शिबू सोरेन को संस्थापक संरक्षक का दर्जा दिया गया, वहीं मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को एक बार फिर पार्टी का केंद्रीय अध्यक्ष चुना गया। वहीं राज्य के सभी जिलों से आए प्रतिनिधियों की उपस्थिति में 286 सदस्यीय केंद्रीय समिति की घोषणा की गई।
महाधिवेशन के समापन सत्र में शिबू सोरेन ने कहा कि अब पार्टी की कमान हेमंत सोरेन के हाथों में है, जिससे सॉफ है कि अब पार्टी की लंबी यात्रा अब मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के हाथों में है।। इस दौरान मुख्यमंत्री और झामुमो के नव-निर्वाचित केंद्रीय अध्यक्ष हेमंत सोरेन ने अपने संबोधन में कहा कि झारखंड राज्य बनने के बाद कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा। उन्होंने कहा कि राज्य की आत्मा किसान और आदिवासी हैं, लेकिन दुर्भाग्यवश, इन्हें भगवान भरोसे छोड़ दिया गया। हेमंत ने भावुक होते हुए कहा कि यदि किसान आत्महत्या करेंगे तो देश क्या खाएगा? उन्होंने केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि देश के इतिहास में ऐसा किसान आंदोलन कभी नहीं हुआ, जिसमें हजारों की जानें गईं, लेकिन अंत में सरकार को झुकना पड़ा। आज सिर्फ झारखंड नहीं बल्कि पूरी देश शिबू सरेन को गुरु जी के नाम सेजनती है। यह उनके संघर्ष का नतीजा है कि आदिवासी डाले अल्पसंख्यक पिछड़ों को लेकर लड़ाई लड़े और झारखंड के गुरु बन गए।
हेमंत ने कहा कि झारखंड की जनता ने शिबू सोरेन को जो मान-सम्मान दिया, वह बेमिसाल है। अब समय है कि राज्य को सजाया-संवारा जाए। उन्होंने कहा कि ‘माई योजना’ जैसे कार्यक्रमों के माध्यम से सभी वर्गों को लाभ मिल रहा है, चाहे वे किसी भी धर्म या जाति से हों।
अंत में उन्होंने कहा कि अब उन्हें पूरे अनुशासन के साथ पार्टी का नेतृत्व करना है और शिबू सोरेन की विरासत को आगे बढ़ाना है। महाधिवेशन के इस आयोजन से स्पष्ट संकेत मिला कि झामुमो आने वाले दिनों में नई ऊर्जा के साथ राज्य की राजनीति में अपनी भूमिका निभाने को तैयार है।
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