कैसे समझाऊँ अपने जज़्बात तुझको मैं, ये लब है कि अब ख़ामोश होना चाहते है.. हाँ अक्सर कहानियाँ अधूरी छोड़ देता हूँ, क्योंकि मैं चाहता हूँ, उसे तुम पूरा करो..
Nice poem bro