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11/01/2025 arif ahmad Relationship Views 101 Comments 0 Analytics Video Hindi DMCA Add Favorite Copy Link
पति पत्नी का रिश्ता

पति पत्नी का रिश्ता सिर्फ कामवासना संभोग तक ही सीमित होता है ऐसा सोचने वाले बहुत से लोग हैं मैने तो ये तक सुना है कि यदि कोई पुरुष किसी स्त्री को संतुष्ट नहीं कर पाता तो वो तुरंत दूसरे मर्द के पास चली जाती है क्या इतना कमजोर है हमारा समाज और समाज की स्त्रियां ? नहीं। एक स्त्री पुरुष के रिश्ते में सबसे बड़ी भूमिका होती है समर्पण की एक दूसरे के प्रति और मेरी कहानी इसी समर्पण पर आधारित है कि कैसे एक स्त्री किसी पुरुष के जीवन को बदल सकती है मैं और मेरा मित्र हम दोनो स्कूल में साथ पढ़ते थे, साथ कोचिंग जाते थे, स्कूल खत्म हुआ तो मैं और वो दोनों एक ही कॉलेज में दाखिला लेने गए, उसका नंबर मुझसे ज्यादा था, इस लिए उसे विज्ञान वर्ग में एडमिशन लेना था, लेना तो मुझे भी विज्ञान में था पर नंबर कम होने की वजह से मेरे पास आर्ट्स और कॉमर्स 2 ही रस्ते बचे थे पर हमारी दोस्ती ऐसी थी कि उसने विज्ञान छोड़ के कॉमर्स में एडमिशन लिया जिससे कि हम दोनो साथ रहें समय बीता हर बार की तरह उसके नंबर मुझसे ज्यादा आते थे हम दोनो की नौकरी लगी और हम दोनो पुणे चले आए, समय के साथ घर वालों ने रिश्ता देखा और और हमारी शादी कर दी, दोनो की पत्नियां अच्छी थी, हम दोनो भी अपनी पत्नी से प्यार करते लेकिन हर रिश्ते में नोक झोंक होती है तो अपना दुखड़ा रोने हम एक दूसरे के पास जाते समय अच्छा चल रहा लेकिन तभी कंपनी ने लोगो को layoff करना शुरू कर दिया और हम दोनो की नौकरी चली गई हम दोनो को काफी सोचा और विचार करने के बाद इस निर्णय पर पहुंचे कि पुणे जैसे शहर में 20000 रूपये का घर है, काफी बड़े खर्चे हैं क्यों ना अपने शहर जा के कोई व्यापार किया जाए प्लानिंग सब fix थी मुझे कपड़े का व्यापार करना था, और इवेंट का, क्यों कि नौकरी मिल नहीं रही थी, अब इस बारे में हम दोनो ने अपनी पत्नी से बात की मैने अपनी पत्नी को बोला तो उसने कहा भविष्य सुरक्षित करना हमारा लक्ष्य होना चाहिए, यदि आप को लगता है कि व्यापार करना सही है तो मैं आप के साथ हूं चलिए चलते हैं मैने मित्र को ये बात बताई खुशी खुशी, वो भी बहुत खुश हुआ अब अगले दिन मिल के डिस्कस करना था कि क्या कैसे करना है हम दोनो अपने अड्डे पर मिले मैने सारी बात बताई , वो चुप था, और बहुत दबे मन में बोला "दोस्त तुम जो शहर में तो नहीं आपाउँगा" मेरी पत्नी बोल रही की वो वापस नहीं जाएगी, छोटे शहर की लाइफस्टाइल उसे नहीं पसंद घर में मां बाप के छोटे छोटे ताने नहीं सह सकती मैने बोला तुमने बताया कि स्थिति ऐसी नहीं है, उसने बोला हां बताया है लेकिन उसका कहना है मै जॉब कर लूंगी यदि यही दिक्कत है, पर तुम वहां नहीं जाओगे मैने दोस्त को अलविदा बोल के वहां से चलना उचित समझा और आगया अपने शहर, मेरी पत्नी ने मेरे व्यापर में कोई खास सहायता नहीं की, सारे काम मेरे खुद के किए होते थे, पर जब काम खराब चलता तो मेरे साथ रहती और तसल्ली देती कि सब सही होगा, मन लगा के कम करो ये तसल्ली देना मात्र किसी ब्रह्मास्त्र से कम नहीं था आज मेरे व्यापार को जमे 5 साल हो गए हैं और जितनी में तनख्वाह कमाता था उसका 20 गुना प्रतिमाह मुनाफा कमाता हूं पर मेरा मित्र आज भी उतने पर ही अटका है, मुझे पूरा विश्वाश था कि यदि उसकी पत्नी उसका साथ देती तो वो मुझसे भी ज्यादा तेजी से व्यापार को आगे बढ़ाता आज मेरा और मेरे मित्र का जीवन पूरी तरह बदल चुका है और जीवन बदलने में दोनों तरफ हाथ पत्नियों का है क्या आप इस बात से सहमत है कि ज्यादातर पुरुष सिर्फ इस बात से रिस्क नहीं लेते कि उन्हें उनकी पत्नियों को जवाब देना होता है ?

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