मानव जीवन में गलतियां करना ,असफल होना स्वाभाविक है।लेकिन वास्तविक पतन की शुरुआत वहां से होती है,जब हम अपनी गलतियों को स्वीकार करने से मना कर देते हैं और किन कारणों से विफल हुए हैं,इसके पीछे के कारणों को जानने में चूक जाते हैं।चलिए आज मैं आपको बताने वाली हूं कि ऐसे अधिकांश लोग जो अपनी गलती को स्वीकार नहीं करते हैं। इसके पीछे सामाजिक ,भावनात्मक और मनोवैज्ञानिक कारण हो सकता है।गलती छोटी हो या बड़ी सदैव हमें अपनी गलती को स्वीकार करना चाहिए।गलती को स्वीकार करना कमजोरी का चिह्न नहीं बल्कि आगे बढ़ना का प्रतीक है ,अगर हम उस गलती से मिले परिणाम से भी सबक लेते हैं।
1.अहंकार: मनुष्य के समग्र गुणों को शीघ्रता से विध्वंश उसका अंहकार कर सकता है। अहंकार आत्मविश्वास,जान,गुण,समृद्धि इत्यादि सभी को नष्ट कर सकता है।मनुष्य अपने अहंकार की वजह से अपनी गलती को स्वीकार करने से मना कर देता है,क्योंकि अहंकार दूसरों में गलतियां एवं कमी ढूंढता है। और यही अहंकार आज युवाओं में देखा जा सकता है।आज के सोशल मीडिया के दौर में युवा यह दिन प्रति दिन स्वयं को श्रेष्ठतम दिखाने में एवं दूसरों को नीचे दिखाने से पीछे नहीं हट रहे हैं ।सबसे पहला कारण है अंहकार ।अंहकार की वजह से लोग अपनी गलती को स्वीकार नहीं करते हैं।
2.छवि: प्राचीनकाल में कौन मनुष्य है और कौन शैतान है?इसकी जानकारी सरलता से मिल जाती थी।शरीर के बनावट के आधार है।जैसे : अगर कोई दानव है,तो उनके बड़े –बड़े दांत, आँखें,नाखून इत्यादि हुआ करते थे।लेकिन आज के समय में मनुष्य कौन है और शैतान कौन है ? इसे पहचानना असंभव है ।जिसमें मनुष्यता है,वहीं असली मनुष्य है।हर व्यक्ति की एक स्वाभाविक प्रवृत्ति होती है कि वह खुद को सही साबित करें एवं अपनी छवि को सुदृढ़ बनाकर रखें।यह गलत नहीं है लेकिन अपनी छवि को सुदृढ़ बनाने में दूसरी की छवि को खराब करना अनुचित है ।गलती स्वीकार करने से हम कमजोर नहीं बल्कि एक विकसित माइंडसेट डेवेलप होता है ।यही डेवेलप माइंडसेट से हम आगे बढ़ते है और जीवन के हर अच्छे एवं बुरे पहलुओं से सीखते हैं।
3. कम: बड़ी दुख की बात है कि अधिकांश लोग अपना जीवन इसी सोचने में व्यतीत कर देते है कि क्या कहेंगे लोग? कौन –से लोग? उन लोगों की क्या भूमिका है आपके जीवन में? क्यों जरूरी है उन लोगों का विचार आपके जीवन में? कई बार लोग गलती इसलिए स्वीकार नहीं करते हैं,क्योंकि उन्हें यह डर होता है कि अगर मैंने अपनी गलती मान ली ,तो लोग क्या सोचेंगे? समाज में मेरी प्रतिष्ठा क्या रह जायेगी? हमें हमेशा याद रखना चाहिए कि अगर हम अपनी गलती को स्वीकार नहीं करते एवं उसके परिणाम से नहीं सीखते हैं,तब हम जीवन में हार एवं निराशा ही पायेंगे।ऐसे लोगों की बातों को सुने,जिसकी भूमिका आपके जीवन में है।अगर हर लोगों की बात सुनते रहिएगा,तब जीवन इसी में बीत जायेगा और एक समय बाद समाप्त हो जायेगा।
यह तीन प्रमुख कारण है।उपरोक्त कारणों के अलावा अन्य कारण है – आलोचना का डर, शेम और ,जिम्मेदारी से भागना , अपराधबोध,आत्म–सम्मान की रक्षा, बहानेबाजी और दोषारोपण की आदत , परिपक्वता और आत्म –जागरूकता की कमी इत्यादि। यह कुछ प्रमुख कारण है।अपनी गलती को स्वीकार कीजिए।गलती को स्वीकार करने से क्रोध ,घृणा ,नफरत इत्यादि दूर होने लगते हैं।
गलती स्वीकार करना एक समझदार व्यक्ति की मैच्योरिटी को दर्शाता है और सीखने का सुअवसर मिलता है ।आशा करती हूं कि यह निबंध आपको अच्छा लगा होगा।
धन्यवाद
काजल साह
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