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21/03/2025 Kajal sah General Views 110 Comments 0 Analytics Video Hindi DMCA Add Favorite Copy Link
श्रेष्ठ एवं चमत्कारी

पृथ्वी पर समस्त प्राणियों में सबसे श्रेष्ठ एवं चमत्कारी प्राणी मनुष्य को माना जाता है।मनुष्य अपनी सोच एवं कार्य से हर असंभव कार्य को संभव कर सकता है ।मनुष्य के पास निर्माण एवं ध्वंस करने की दोनों शक्ति है। आज मनुष्य जिस भी परिस्थिति (अच्छी हो या बुरी)मनुष्य अपनी सोच एवं भूतकाल में किए गए कार्य की वजह से है।इसलिए कहा जाता है कि "मस्तिष्क ही सबकुछ है"। मस्तिष्क ही सबकुछ अर्थात् यह वाक्य हमें यह समझाने की कोशसिह करता है कि हमारी पूरी जिंदगी ,हमारी सोच और हमारे कार्य पर आधारित है। सकारात्मक सोच एवं अच्छे कार्य ही सफलता का मुख्य आधार है। यह दोनों आयामों से ही हम सफलता तक पहुंच सकते हैं। मस्तिष्क को सर्वशक्तिशाली क्यों कहा जाता है? आज यह जानने का प्रयास करेंगे। 1. जीवन : मन के हारे हार है,मन के जीते जीत अर्थात अगर हमने यह सोच लिया है कि हमसे नहीं होगा तब हमारा अवचेतन मन भी इसी दिशा अर्थात हारने की दिशा की ओर कार्य करता है लेकिन जब हम कठिन से कठिन परिस्थितियों के समक्ष हार नहीं मानते हैं और डट के सामना करते हैं। तब नकारात्मक विचार सकारात्मक में बदल जाती है। विचारों को सशक्त एवं सकारात्मक हमें बनाना चाहिए। नकारात्मक मन हमेशा समस्याओं की ओर ध्यान देता है लेकिन सकारात्मक मन समस्या का निवारण खोजता है। 2. असंभव: दशरथ मांझी (जन्म: 14 जनवरी 1929-17 अगस्त 2007) जिन्हें "माउंटेन मैन"के रूप में भी जाना जाता है, बिहार में गया के करीब गहलौर गांव के एक गरीब मजदूर थे। केवल एक हथौड़ा और छेनी लेकर इन्होंने अकेले ही 360 फुट लंबी 30 फुट चौड़ी और 25 फुट ऊँचे पहाड़ को काट के एक सड़क बना डाली। 22 वर्षों परिश्रम के बाद, दशरथ के बनायी सड़क ने अतरी और वजीरगंज ब्लाक की दूरी को 55 किमी से 15 किलोमीटर कर दिया। इतिहास में ऐसे अनगिनत उदाहरण हैं,जिन्होंने असंभव को संभव बनाया है।तकनीकी युग में जीवनयापन करना यह भी असंभव था लेकिन मनुष्य ने अपनी सोच,कार्य,मेहनत एवं अनुशासन संभव बनाया।सबसे पहले यह क्रांति की शुरुआत मन से होती है।दूरदर्शिता,दृढ़ संकल्प एवं विराट लक्ष्य की प्राप्ति के लिए आज इतना आगे है।इसलिए हर –माता को यह ध्यान देना चाहिए कि आपके बच्चे मोबाइल फोन पर क्या देख रहे हैं? कैसे बच्चों के साथ मित्रता है? इन सभी का प्रभाव मन पर पड़ता है।इसलिए यह अनिवार्य है कि सही संगति ,सकारात्मक विचारों को चुनना।माइंड की शक्ति को हमें पहचानना। हम क्या कर रहे।क्या देख रहे हैं?कैसे मित्र है? इन सभी का प्रभाव ब्रेन पर पड़ता है।इसलिए स्वयं का विश्लेषण एवं निरीक्षण करें। 3. स्त्रोत: हमारा मन आत्म –नियंत्रण एवं अनुशासन का स्त्रोत है।आलस्य मन और नकारात्मक विचार हमें आगे बढ़ने से रोकता है लेकिन अनुशासित एवं सकारात्मक मन एकाग्रता एवं कड़ी परिश्रम करने की सीख देता है।स्वामी विवेकानंद जी ने भी कहा था – संयमित मन मित्र के भांति है और असंयमित मन शत्रु है।मन को स्वयं के वश में करने के लिए मेडिटेशन करें।संयमित मन से हर असंभव कार्य को किया जा सकता है। 4. ज्ञान :जो कुछ भी हम सीखते हैं,पढ़ते हैं या अनुभव करते हैं,वह सभी बातें एवं जान हमारे दिमाग में संग्रहित हो जाता है।यही कारण है कि ब्रेन को ज्ञान का भंडार कहते हैं।जितना अधिक समय हम सीखने एवं अपने दिमाग को प्रशिक्षित करेंगे,उतनी ही अधिक से हम सफलता की ओर बढ़ते हैं। 5. क्षमता: किसी भी परिस्थिति में निर्णय लेने की क्षमता हमारे मस्तिष्क की कुशलता पर निर्भर करती है। हमारा हमेशा यह प्रयास होना चाहिए कि हमें अपने माइंड को सही निर्णय लेने के लिए खुद को तैयार करना चाहिए। "हमारा मस्तिष्क ही सबकुछ है"। अपनी माइंड की शक्ति को पहचाने और आगे बढ़ें। धन्यवाद काजल साह

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