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02/04/2025 Kajal sah General Views 161 Comments 0 Analytics Video Hindi DMCA Add Favorite Copy Link
कठिन कार्य की सरल बनाएं!

मनुष्य इस धरा पर सबसे श्रेष्ठ प्राणी माना गया है।व्यक्ति सोच सकते हैं,विचारों को प्रकट कर सकते हैं और निर्माण एवं विध्वंश की शक्ति मनुष्य के पास है। यह मानव शरीर केवल भोग– विलास भोगने के लिए नहीं मिला,बल्कि मनुष्य होने के नाते हमें अपने तन और मन का सही उपयोग करना चाहिए।जिस व्यक्ति में मनुष्यता के गुण है,वह व्यक्ति ही सही रूप में मनुष्य है। समय ही जीवन है।अगर हम समय बर्बाद कर रहे हैं,तब जीवन बर्बाद कर रहे हैं।इस मानव तन और मन का सदुपयोग तब ही संभव है,जब हम का उपयोग नेक एवं लक्ष्य प्राप्ति के लिए करते थें। अधिकांश लोग सफल होना चाहते हैं,लेकिन बड़े लक्ष्य की प्राप्ति के लिए कठिन मेहनत,तपस्या एवं बलिदान नहीं करना चाहते थे।कठिन कार्य करने से हमें डरना नहीं चाहिए।बड़े लक्ष्य की प्राप्ति के लिए कठिन परिश्रम आवश्यक है।आज इस निबंध मैं आप सभी के साथ शेयर करूंगी कि कैसे कठिन कार्य को सरलतम से किया जा सकता है। केवल हार्डवर्क ही जरूरी नहीं होता है,बल्कि लक्ष्य की प्राप्ति के लिए सही रणनीति के साथ मेहनत करना चाहिए। 1.स्पष्टता: स्पष्टता अर्थात क्लैरिटी होना जरूरी है।जीवन में क्या करना है और क्यों करना है? इसकी स्पष्टता होना आवश्यक है।लक्ष्य छोटा हो या बड़ा क्यों करना है? और उद्देश्य क्या है?लक्ष्य की अस्पष्टता की वजह ऊर्जा और समय दोनों बर्बाद होता है।ऊर्जा सबसे बड़ी पूंजी एवं समय सबसे बड़ा शिक्षक होता है। 2. कार्य:बड़े लक्ष्य हो या छोटे लक्ष्य हमेशा प्लानिंग के साथ करें।बड़े लक्ष्य की प्राप्ति के लिए प्रतिदिन स्मॉल – स्मॉल स्टेप्स लेते रहे।छोटे– छोटे चरणों में विभाजित करें।बड़े चरणों को देखकर अधिकांश लोग पीछे हट जाते थे,इसलिए छोटे – छोटे चरणों में बांटना बेहद जरूरी है। 3. प्राइमरी: आज हम जिस भी अवस्था में हैं,उसके जिम्मेदार हम स्वयं है और भविष्य में जो हम होंगे उसके जिम्मेदार हम स्वयं होंगे।जीवन में प्राथमिकता तय करना सबसे जरूरी है अर्थात् कौन – सा कार्य करना सबसे जरूरी है? क्यों करना जरूरी है? प्राथमिकताएं निर्धारित करना सबसे जरूरी है,तब ही हम अपने समय और ऊर्जा सदुपयोग सही दिशा में कर पायेंगे।पहले सबसे महत्वपूर्ण और जरूरी कार्यों को करें ,फिर अन्य कार्यों पर ध्यान दें। 4. मानसिक: स्थिर मन सबसे सशक्त पूंजी है और अस्थिर मन सबसे बड़ा शत्रु।मन की गति सबसे गतिशील है।इसलिए हमें किसी भी कार्य को पूर्ण करने से पहले मन को उस कार्य को पूर्ण करने के लिए तैयार करना आवश्यक है।कोई भी कार्य करने से पहले दिमाग को यह स्वीकार करने के लिए तैयार करना आवश्यक है कि यह कार्य संभव है।मन की स्वीकारता के साथ और दृढ़ इच्छाशक्ति से कार्य को हम आत्मविश्वास के साथ करते हैं। 5. धैर्य: सफलता पाने के लिए कोई शॉर्टकट नहीं होता है।बड़े लक्ष्य को पूर्ण करने के लिए खुद को सम्पूर्ण रूप से समर्पित करना आवश्यक है।बड़े लक्ष्य में अधिक समय और मेहनत लगती है।मार्ग पर बाधाएं आएगी,लेकिन हम कभी हार नहीं मानना कर।निराशा के बजाय धैर्यपूर्वक प्रयास करना चाहिए। 6. क्षमता: हर व्यक्ति को अपनी क्षमता पर विश्वास करना चाहिए।जब तक हम अपने ऊपर विश्वास नहीं करेंगे ,तब तक न किसी भी बड़े या लघु लक्ष्य की प्राप्ति नहीं कर सकते हैं।हमें स्वयं को जानना चाहिए एवं अपनी क्षमताओं पर विश्वास करना चाहिए। यह कुछ रणनीतियां हैं ,जिससे अपनाकर कठिन कार्य को सरलतम से किया जा सकता है। अन्य रणनीतियां हैं- सकारात्मक सोच रखें,नियमित अभ्यास करें,अच्छे संसाधनों का उपयोग करें इत्यादि। आशा करती हूं कि यह निबंध आपको अच्छा लगा होगा। धन्यवाद काजल साह

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