चलो गहरी रात हो गयी, सो जाएँ
उदासी की गोद में ही सही, सो जाएँ
खामोश दीवारें बुला रही हैं प्यार से
उनकी ही आरज़ू पूरी करने, सो जाएँ
मकड़ी जाला बुन रही होगी उजाले का
उससे मूंह फेर कर आओ ना, सो जाएँ
शब् भर कुछ ख्वाब देख लें जुस्तजू के
ज़रीं उम्मीद दिल में छुपाये, सो जाएँ
फिर सुबह आ ही जायेगी नाउम्मीदी लिए
आज रात के दामन में छुपकर, सो जाएँ
नीलम सक्सेना चंद्रा,
RB V 585 /A, D Block, Sangam Park Railway Officer’s Colony,
Pune 411001
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