कल एक झलक मैंने जिन्दगी को देखा ! वो अपनी धुन में कुछ गुनगुना रही थी !! कभी मैं उसे देख मुस्कुराया जा रहा था ! कभी वो मुझे देख मुस्कुरा रही थी !! न जाने क्यों अनजान थे एक दूजे से हम दोनो ! मैं वहीं था फिर भी जैसे मुझे बुला रही थी !! अरसों बाद दिल को सुकून मिला हो जैसे ! प्यार भरी थपकियों से कुछ यूं सुला रही थी !! न जाने क्यों नज़रें चुरा रहे थे दोनो ! वो नज़रों से जैसे मुझे नज़्म बता रही थी !! मैं चुपके से नज़रें मिला रहा था उससे ! वो चुपके से मुझसे नजरें मिला रही थी !! जिंदगी से बातें तो होती है यूं ही ! आज न जाने किस गम में वो मुस्कुरा रही थी !! जब पूछा मैंने बता इतने रंग क्यों है तुझमें ! वो कहती है मैं बस तुझे जीना सीखा रही थी !!