आज से लगभग 30-40 हजारों वर्ष पूर्व आदि मानव पृथ्वी के विभिन्न भागों में वनों में इधर उधर घूमा करते थे। इस समय मानव शिकार करता था प्रकृति से फल फूल एकत्र करता तथा वनों से प्राप्त फल फूल एवं कंद-मूल, चिड़ियों के अंडों तथा नदियों से प्राप्त मछलियों से अपना पेट भरता था।अत:इस समय मनुष्य शिकारी एवं भोजन संग्राहक था धीरे-धीरे जब उसने किसी की कला को सीखा तो वह एक स्थान पर स्थाई रूप से निवास करने लगा आदिमानव के शिकार एवं खाद्य संग्राहक अवस्था में अस्थाई निवासी बढ़ने की अवस्था को हम शीर्षकों को अंतर्गत रख सकते हैं। (1) जानवरों का शिकार: अपने जीवन की शुरुआत अवस्था में आदिमानव ने अपने बेडौल, भोथड़े तथा लकड़ियों अथवा हड्डियों के बने हुए हथियारों से जानवरों का शिकार करना शुरू किया था। परंतु इस साधारण हथियारों से जानवरों का शिकार कर पाना आसान काम नहीं था उन्हें भयानक जानवरों का शिकार करने से क्रम में स्वयं कई बार उनका शिकार बन जाना पड़ता था इस कारण नवपाषाण काल में उन्होंने पत्थरों के ही नुकीले तथा हल्के हथियारों को बनाया ताकि उन्हें दूर से पेड़ जानवरों का शिकार किया जा सके परंतु फिर भी इस अवस्था में उनका जीवन कम जोखिम भरा नहीं था। 2. कंद-मूल इकट्ठा करना : शिकारी प्रवृत्ति के हाने बावजूद आदि मानव ने कंदमूल एवं विभिन्न प्रकार के फल फूलों को इकट्ठा कर अपने भोजन को जिताने की आदत बनी हुई थी। जब पुरुष जंगलों में शिकार करने चला जाता था तब बच्चे एवं महिलाएं वनों में उनके साथ या उनकी अनुपस्थिति में कंदमूल फल को इकट्ठा करने जाते थे। एक स्थान पर कंद-मूल फलों की कमी जाने पर में अन्य जगहों पर चले जाते थे तथा घुमक्कड़ो का जीवन व्यतीत करते थे। (3) पशुपालन: जंगलों में शिकार के क्रम में वह बड़े जानवरों जैसे कुत्ते भेड़ बकरियों गधों का गायों इत्यादि के छोटे शावक को अपने साथ अपने निवास पर ले जाता था जिनके साथ उनके बच्चे खेलते थे और धीरे-धीरे वैसा वर्क पशु पालतू परसों बन जाते थे। पशुपालन के लिए आदि मानव को ज्यादा मशक्क़त नहीं करनी पड़ती थी उन्हें पशु योग्य घास आसपास के वनों से प्राप्त हो जाया करती थी पशुओं को पालने से उन्हें विभिन्न प्रकार के खाद्य पदार्थ प्राप्त हो जाया करता था तथा उनके भोजन की समस्या निराकरण कुछ हद तक हो गया। इतना ही नहीं उन्हें पशुओं के चारे के प्रबंध के कारण कुछ समय तक एक स्थान पर स्थित होकर रहना भी पढ़ता था जिसके कारण उन्हें अंदर स्थाई रूप से निवास करने की प्रेरणा जाएगी। (4): खाद उत्पादनकारी मानव : लगातार शिकार करने से जानवरों का अस्तित्व समाप्त होने लगा था इस कारण उन्हें शिकार के साथ-साथ पशुपालन की ओर झुकना पड़ा पशुपालन के क्रम में मानव को एक स्थान से स्थिर होकर रहना पड़ता था जहां पर अपने द्वारा इकट्ठा किए गए फलों को खा कर उनके बीजों को वहीं फेंक देते थे जिनके कालांतर में नए पौधे का जन्म हुआ जिसे मानव ने कृषि की कला को सिखाने लोगों का मानना है कि नदियों के किनारे मछलियों के शिकार करने के क्रम में आदिमानव ने कृषि करना सिखा कृषि क्या अविष्कार के क्रम में मनुष्य को जंगली जानवरों तथा अन्य लोगों ने अपने पशुओं को बचाने के लिए स्थाई जीवन जीने का मार्ग दिखाया कृषक को के लिए भूमि की देखरेख फसल की देखरेख सिंचाई एवं अन्य कारणों से यह आवश्यक हो गया कि वे खेती के पास ही रहे इस प्रकार मनुष्य के अंदर स्थाई रूप से निवास करने की प्रवृत्ति बढ़ी तथा कालांतर में नदी घाटी सभ्यता का विकास हुआ। धन्यवाद : काजल साह