सिंधु घाटी सभ्यता दुनिया की प्राचीन नदी घाटी सभ्यता में से एक प्रमुख सभ्यता है जो मुख्य रूप से दक्षिण एशिया के उत्तर पश्चिम क्षेत्र में जो आज तक उत्तर पूर्व अफगानिस्तान पाकिस्तान के उत्तर पश्चिम और उत्तर भारत में फैली है इसका विकास हिंदू और घग्गर हकरा के किनारे हुआ। मोहनजोदड़ो , कालीबंगा , लोथल धोलावीरा राखीगढ़ी और हड़प्पा इसके प्रमुख केंद्र थे दिसंबर 2014 में भीड़डाणा की सिंधु घाटी सभ्यता का अब तक का खोजा गया सबसे प्राचीन नगर माना गया है यद्यपि सिंधु घाटी सभ्यता का क्षेत्र व्यापक था परंतु सबसे अधिक एवं पुष्ट प्रमाण हरप्पा केंद्र से ही मिला है अतः इतिहासकार इस सभ्यता का प्रमुख केंद्र हरप्पा होने के कारण इस सभ्यता को हड़प्पा सभ्यता के नाम से पुकारते हैं।
1. समाजिक जीवन : हड़प्पा सभ्यता में स्त्री मूर्तियां अधिक मिली है इससे अनुमान लगाया जाता है कि हरप्पन समाज माता प्रधान था इस सभ्यता के लोग युद्ध प्रिय कम शांतिप्रिय अधिक थे समाज भागों में बांटा था बुद्धिजीवी व्यापारी सैनिक तथा श्रमजीवी।
भोजन के रूप में हड़प्पाई सभ्यता के लोग शाकाहारी तथा मांसाहारी दोनों थे।ये लोग गेहूं, जौ खजूर,दूध,दही भेड़ एवं सूअर के मांस को खाते थे। घर में बर्तन के रूप में मिट्टी एवं धातु के बने कलश,थाली कटोरी गिलास एवं चम्मच का प्रयोग करते थे या लोग सूती एवं ऊनी वस्त्र पहनते थे। पुरुष वर्ग दाढ़ी और मूंछ का शौकीन था। खुदाई के समय तांबे से निर्मित दर्पण कंघे एवं उस्तरे मिले हैं। इनको आभूषण प्रिय था स्त्री और पुरुष दोनों आभूषण पहनते थे। ये लोग आभूषणों में कंठ हार भुज बंध, कर्णफूल, छल्ले करधनी, पाजेब आदि पहनते थे। वे लोग नृत्य एवं संगीत के शौकीन थे। शिकार करना पशु पक्षियों से लड़ना चौपड़ पासा खेलना आदि इनकी मनोरंजन के साधन थे। वे मृतक के शवों को मिट्टी में दफन आते और जलाते भी थे।पशु पक्षियों को खाने के लिए शव को खुले मैदान में रखते थे बाद में अस्थि-पंजर को जमीन में दफना दिया करते थे ।
2.कृषि : सिंधु तथा उसकी सहायक नदियां द्वारा प्रतिवर्ष लाई गई मिट्टी निश्चित रूप से उपजाऊ रही होगी।इन उपजाऊ मैदानों में यहां के लोग भी गेहूं,जौ,कपास तरबूज, खजूर, मटर,सरसों तथा तिल की खेती करते थे।लोथल में हुई खुदाई में धान तथा बाजरे की खेती के अवशेष मिले हैं।इस समय खेती के कार्यों में प्रस्तर एवं कांस्य धातु के बने औजार प्रयोग किए जाते थे कृषि कार्य में हलों का प्रयोग होता था।
2. पशुपालन: इस सभ्यता के लोग बैल भैंस, गाय,भेड़,बकरी कुत्ते,गधे,खच्चर और सूअर आदि पशुओं को पालते थे। कुछ पशु पक्षी कैसे बंदर खरगोश हिरण मुर्गा, मोर, तोता और उल्लू के अवशेष खिलौने और मूर्तियों के रूप में मिले हैं इस सभ्यता के लोग घोड़े की उपयोगिता से अपरिचित थे।
3. शिल्प एवं उद्योग : मोहनजोदड़ो तथा कालीबंगा से प्राप्त सूती कपड़े के टुकड़ों से पता चलता है, कि इस समय सूती वस्त्र एवं बुनाई उद्योग काफी विकसित था। कटाई में प्रयोग होने वाली तक़लियों के भी प्रमाण मिले हैं। इस समय के महत्वपूर्ण शिल्पो में मुद्रा निर्माण एवं मूर्ति निर्माण शामिल है इस सभ्यता के लोग व्यापार के लिए नाव,बैलगाड़ी तथा भैंस गाड़ी का प्रयोग करते थे इस समय के लोग आभूषणों के लिए सोना चांदी अफगानिस्तान से तथागत दक्षिण भारत से मंगाते थे।
4. व्यापार एवं वाणिज्य : हरप्पा पाई लोग सिंधु सभ्यता के भीतर पत्थर धातु शल्क आदि का व्यापार करते थे। ये बाहरी देशों से वस्तुओं का आयात और निर्यात करते थे माप तोल के लिए तराजू एवं वार्ड का प्रयोग होता था इनका व्यापार विनियम प्रणाली पर आधारित था।
हड़प्पा सभ्यता के लोग का व्यापारिक संबंध राजस्थान अफगानिस्तान ईरान एवं मध्य एशिया के साथ था इसका प्रमाण लोथल से प्राप्त फारस की मोहरों से मिलता है।
धन्यवाद
काजल साह
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K
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21.03.2023
Kajal sah
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