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27/03/2023 Kajal sah General Views 142 Comments 0 Analytics Hindi DMCA Add Favorite Copy Link
कविता : अपने परों से
अपने परों को खोलकर
ऊँची उड़ान उड़ना है मुझे
अपने हर सपनों को
अपना बनाना है मुझें
जीवन की हर चुनौतियों से
लड़ना है मुझें
अकेला चलना है मुझें
अपने हसीन ख़्वाबों को
अपने ज़िद से
पूरा करना है मुझें।

लोगों के डगर से
नहीं रुकना है मुझें
अब नकारात्मक बातों को
अब नहीं सहना है
अब अपनी उड़ान को
नहीं रोकना है मुझें
अपनें सपनों के लिए
निरंतर आगे बढ़ना है मुझें
अपनें परों को खोलकर
पुरी जगत को देखना है, मुझें।

जीवन के हर राह पर
अकेला चलना है
हर राहों पर मुस्कुराते हुए
आगे बढ़ना है
हर चुनौतियों से लड़कर
खुद को निखारना है
अपने  किस्मत पर भरोसा नहीं
अपनी मेहनत से तकदीर
बदलना है, मुझें
हर असंभव को संभव बनाना है
हर ऊँची सफलता कों
अपना बनाना है
अपने परों कों खोलकर
ऊँची निरंतर उड़ान उड़ना है मुझें।

धन्यवाद : काजल साह : स्वरचित
                             

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