The Latest | India | [email protected]

57 subscriber(s)


K
02/04/2023 Kajal sah Advertisement Views 311 Comments 0 Analytics Hindi DMCA Add Favorite Copy Link
ऐसी कहानियाँ जों हमें आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करती है।

लिज्जत पापड़ की कहानी मात्र 80 रूपये से शुरू शुरू होकर 500 करोड़ से अधिक की बिक्री का लेखा - जोखा। जिद्द और दृढ़ संकल्प हमें जीवन में आगे बढ़ने के लिए बहुत प्रेरित करता है। आज जितने भी सफल व्यक्ति हुए है उनके अंदर यह गुण बहुत अच्छे से मौजूद रहता है। आज यह कम्पनी अपनें मेहनत, दृढ़ संकल्प और जिद्द से अपनी अनोखी और सफलता की पहचान बनाई है अच्छी क्वालिटी एवं सुरुचिपूर्व स्वाद के लिए पहचाने जाने वाले लिज्जत पापड़ सफलता की कहानी, निश्चित रूप से सहकारी क्षेत्र में सफलता की शानदार मिसाल है। बहुत सारी महिलाओं नें अपनें जीवन में आये हर समस्याओं लड़कर आज महिलाओं नें अपनी अलग पहचान बनाई है। यह बिज़नेस का आईडिया महिलाओं के माध्यम से शुरू हुआ है। इस बिजनेस को स्टार्ट करने में केवल 7 महिलाओं का सहयोग था। वर्ष 1959 ईस्वी में किए गए महिला गृह उद्योग नें आज 500 करोड़ से अधिक बिक्री का आंकड़ा पार कर लिया है। आज संस्थान से 42 हजार से अधिक महिलाएं जुड़ी हुई है। इसमें एक बीमार, बंद पड़ी पापड़ बनाने की काय को खरीद कर 15 मार्च 1959 को पापड़ बनाने का कार्य शुरू किया। 4 पैकेट पापड़ बनाने से इस उद्योग की मुंबई में शुरुआत हुई। धीरे-धीरे यह को -ऑपरेटिव में परिवर्तित हो गया और आज एक बड़े उद्योग के रूप में से जाना जाता है। इसके पहले वर्ष की बिक्री मात्र 6196 रुपए थी। आज की बिक्री 500 करोड़ से भी अधिक है। यह कहानी महिलाओं के सशक्तिकरण एवं उनकी मेहनत से उपजी अभूतपूर्व सफलता की कहानी है। आज लिज्जत पापड़ ना केवल हमारे देश के घर-घर में प्रयुक्त होता है, बल्कि इसका निर्यात भी किया जा रहा है। इस संस्थान का कोई एक मालिक नहीं है, बल्कि संस्था से जुड़ी हर महिला इसकी स्वामिनी है, लाभ एवं हानि बराबर से सभी द्वारा साझा किए जाते हैं। इस संस्थान में ना दान लिया जाता है, ना ही किसी तरह का भी दान स्वीकार किया जाता है। संस्थान में निर्णय थोपा नहीं जाता है, बल्कि सभी के द्वारा मत से लिया जाता है। सचमुच महिला गृह -उद्योग लिज्जत पापड़, अनूठा संस्थान है, जिसकी सफलता की कहानी भी अद्भुत है। 2. चंद्रप्रभा अटवाल 68 की उम्र में जिन्होंने हिमालय जीता, इसी को कहते हैं इच्छाशक्ति। जब हमारे पास दृढ़ इच्छा शक्ति होती है तब हम सक्रिय रूप से कार्य करते हैं। इसीलिए हमारे जीवन में दृढ़ संकल्प का होना बहुत ही ज्यादा जरूरी है। चंद्रप्रभा जी उत्तरकाशी के रहने वाली है। जिन्होंने 6133 मीटर ऊंची चोटी श्रीकंठ पर लहराया हमारा तिरंगा। उत्तरकाशी के 68 वर्षीय चंद्रप्रभा अटवाल पहाड़ों की गोद में खेल कर बड़ी खुशी और होश संभाले इन्हीं से दिल लगा बैठे। उम्र के इस पड़ाव में गीत चंद्रप्रभा के हौसले इतने बुलंद है कि उन्होंने हिमालय की 6133 मीटर ऊंची चोटी श्रीकंठ पर तिरंगा फहराकर मिसाल कायम की। 8 महिला पर्वतारोहियों के दल का नेतृत्व करने वाली चंदा प्रभाव को पहाड़ों से इस कदर मोह हो गया उन्होंने शादी भी नहीं की। पर्वतारोहण का 40 साल का अनुभव रखने वाली चंद्रप्रभा ने कई अन्य देशों में पर्वतारोहण किया। इस पर्वतारोही ने नेपाल, चीन, जापान में पहाड़ों की ऊंचाई नापी है। चंद्रप्रभा को माउंट एवरेस्ट पर तिरंगा नहीं फहरा पाने का मलाल आज भी उन्होंने बताया कि वह 3 बार एवरेस्ट मिशन के लिए चुनी गई लेकिन वे इन्हें पूरा नहीं कर पाई। लेकिन वे आज भी उनका इस मंजिल को प्राप्त करने के लिए निरंतर प्रयास जारी है। जीवन का यही मूल है हमें निरंतर प्रयास, लग्न और कड़ी मेहनत करते रहना चाहिए। एक दिन जरूर ऐसा आएगा जब हम अपने मंजिल को प्राप्त कर चुके होंगे। धन्यवाद

Related articles

 WhatsApp no. else use your mail id to get the otp...!    Please tick to get otp in your mail id...!
 





© mutebreak.com | All Rights Reserved