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25/05/2023 Kajal sah Knowledge Views 240 Comments 0 Analytics Video Hindi DMCA Add Favorite Copy Link
निबंध : इनपुट
इस विभाग का काम होता है न्यूज़ रूम को इनपुट देना। दूसरे शब्दों में कहें तो इनपुट का काम है न्यूज़ रूम में खबरों का ढेर लगाना। मतलब दुनिया भर से तरह-तरह की खबरों को एक इकट्टा करना और उसे आउटपुट को देना। इनपुट विभाग न्यूज़ चैनल को कच्चा माल की खबर देता है। जिस चैनल के पास जितनी ज्यादा खबरें होगी उसका मतलब यह हुआ कि उस चैनल का इनपुट उतना ही मजबूत है। इसमें आते हैं :

1. असाइनमेंट डेस्क :
 असाइनमेंट डिस्को न्यूज़ चैनल का ब्रेन कहा जाता है। खबरों का तलाश भी इसे ही कहा जाता है। मतलब कि इसका काम होता है कि अपने अलग-अलग सूत्रों से खबरों लेना आउटपुट डेस्क को देना। अगर असाइनमेंट काम करना बंद कर दे तो न्यूज़ चैनल नहीं चल सकता क्योंकि उसके पास चलाने के लिए कोई खबर ही नहीं होगी ; इसीलिए इसे चैनल का ब्रेन कहा जाता है।

सूत्रों के सभी खबरों को लेकर  और फिर छांट कर उनमें से लायक खबरों को आउटपुट को देना ही असाइनमेंट का काम होता है। रोजाना लगभग 500 खबर इस डेस्क पर आती हैं, जिनमें से अपने विवेक के आधार पर करीब 50 खबरों का चयन किया जाता, जिसे बाद में आउटपुट डेस्क ऑन ईयर करता है। खबरों को उनके वजन के हिसाब से छांटा जाता है, मतलब जो ज्यादा जरूरी खबरें होती हैं, उन्हें ही दिखाया जाता है। क्योंकि ऐसा नहीं है कि सभी 500 खबरें दर्शकों के लिए जरूरी है। असाइनमेंट डेस्क में एक शिफ्ट में करीब 3 से 4 लोग काम करते हैं। असाइनमेंट डेस्क पर बैठा शख्स करंट रन डाउन  को फॉलो करता है और जिस रिपोर्टर या एक्सपर्ट का फोन आया लाइव चैट जानी होती है, उसे लाइन अप करता है।इसके अलावा जब कोई भी खबर आती हैं, तो उसी न्यूज़ रूम के सभी कंप्यूटर पर मैसेज के जरिए भेज कर बताने का काम भी असाइनमेंट का ही होता है।

इसके अलावा रोजाना सुबह और रात दोनों टाइम न्यूज़ लिस्ट को तैयार करना और उसी आउटपुट को देना भी असाइनमेंट की ही जिम्मेदारी है। किसी रिपोर्टर या स्ट्रिंगर की स्क्रिप्ट और विजुअल को आउटपुट तक पहुंचाने का काम भी असाइनमेंट का ही है। इसी तरह दूसरे चैनल की मॉनिटरिंग, न्यूज़ एजेंसी से खबरें निकालना और इंटरनेट को सर्फ करके खबरों को खोजने का काम भी असाइनमेंट डेस्क के लोग ही करते हैं। यहां पर पैनल की तरह टॉक बैक मशीन लगी होती है, जिससे एक साथ लगभग सभी विभागों की बात की जा सकती है। यह जगह काफी हलचल भरी होती हैं। यहां आपको हर वक्त कोई फोन करता हुआ मिलेगा, तो कोई इंटरनेट पर आंख गड़ाए हुए मिल जाएगा। असाइनमेंट डेस्क मतलब खबरें और सिर्फ खबरें।  जब आप इंटर्नशिप करने जाएंगे तो आपको यही महसूस होगा असाइनमेंट डेस्क मतलब खबर। इसीलिए कि यहां काम करने वाले बंदे को हर जगह सिर्फ खबर ही दिखाई देती है। अगर आप नए-नए रिपोर्टर बने या इंटर्नशिप के दौरान आपको रिपोर्टिंग करने का मौका मिला तो जब आप सूट करके आए और अपने स्टोरी असाइनमेंट किस शख्स को बताए तो जरा हर पहलू पर उन्हें संतुष्ट करिएगा। अगर आप ऐसा नहीं कर पाए तो यह पक्का समझ लीजिए कि आप की स्टोरी सिर्फ आप तक ही सीमित रह जाएगी। उसे ऑन एयर होने का सौभाग्य नहीं मिलेगा। या मैं इसलिए कह रही हूं क्योंकि जैसे ही आप असाइनमेंट के बंदे को अपने सूट की राम कथा बताना शुरू करेंगे, वैसे ही आपके सामने एक सवाल आएगा - इसमें खबर क्या है? फिर जब आप इसका जवाब बताएंगे, तब तक दूसरा सवाल दाग दिया जाएगा - इसमें कौन सी नई बात है? या तो सबको पता है। कुछ नया बताओ। फिर आप सोचेंगे कि क्या गलती हो गई मुझसे जो यह मेरी खबर नहीं चलाना चाहते, इसीलिए मुझसे ऐसी बात कर रहे हैं। चूंकि मैं चाहती हूं कि आप ऐसा कुछ ना सोचें इसीलिए मैं पहले ही आपको बता देती हूं कि इसकी वजह क्या है? यह असाइनमेंट डिक्स के बंदे की कमी नहीं है, और ना ही उसकी आपसे कोई दुश्मनी है। दरअसल यह लोग खबर को भापने के कितने पक्के होते हैं या यूं कहें कि उनको खबर की इतनी बेहतरीन समझ होती है कि इन्हें जल्द कोई स्टोरी समझ नहीं आती। मतलब उसमें याद तो इन्हें न्यूज़ वैल्यू नहीं लगती या फिर बहुत कम लगती हैं। इसलिए यह लोग किसी स्टोरी को जल्दी अपनी लिस्ट में शामिल नहीं करते । यह गुण आपको भी आना चाहिए।

जैसे मैं पहले भी कह चुकी हूं कि, आप पत्रकार तभी बनेंगे जब आपने इस बात को समझने की काबिलियत हो की क्या खबर है और क्या नहीं। जब आपको इस बात की समझ आ जाएगी तो आप यह समझ जाएंगे कि किस खबर में आपको किसकी बाइट लेनी है या फिर किसका फोनो लेना है। अगर कोई मुद्दा है जिस पर आज शाम को स्टूडियो में चैट शो होना है, तो उसके लिए गेस्ट के तौर पर किसे बुलाना चाहिए। मुझे निजी तौर पर बस असाइनमेंट इसकी एक बात खलती है, यहां काम करने वाले शख्स को स्क्रिप्टिंग करने का ज्यादातर मौका नहीं मिलता। दरअसल यहां आपको 24 घंटे खबरों पर नजर रखनी होती है। न्यूज़ चैनल में हर विभाग थोड़ी देर के लिए सही, सो सकता है लेकिन वह बंदे एक सेकेंड के लिए भी नहीं कर सकते ऐसा। अब जबकि आपके पास छक्के मारने का भी टाइम नहीं है तो आप  स्क्रिप्टिंग कैसे कर पाएंगे। हां मगर यह भी नहीं है कि, मेरे कुछ दोस्त है जो असाइनमेंट डेस्क पर काम करते हैं और लिखते भी खूब हैं। चलिए शायद इसलिए किसी ने खूब कहा है - अपवाद हर जगह होते है।
धन्यवाद
                             

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