The Latest | India | [email protected]

56 subscriber(s)


K
07/07/2023 Kajal sah Inspiration Views 286 Comments 0 Analytics Video Hindi DMCA Add Favorite Copy Link
जीवन का मूलभुत शिक्षा कुटज

कुटज पुष्प का वृक्ष हमें अपराजेय जीवन शक्ति का सन्देश देता है। भीषण गर्मी में भी सुखी चट्टानों को भेद कर अपने लिए रस रूपी भोज्य पदार्थ खोज लाता है और हमेशा हरा - भरा एवं फूलों से लदा रहता है। वस्तुत :कुटज यह सन्देश देता है कि जो कठिन परिस्थितियों में भी संघर्ष करते हुए अपने अस्तित्व को बनाये रखता है, वही संघर्षशील और साहसी होता है, और जीवन को सच्चे अर्थो में भी पता है। सीख-2 कुटज स्वाभिमानी है। वह स्वाभिमान के साथ, उल्लास के साथ एवं गरिमा के साथ जिंदगी को जीता है। वह कभी किसी के सामने हार नहीं मानता है। इसी प्रकार वह चाहता है कि हम आत्मनिर्भर बने, भीख न मांगे, किसी पर आश्रित न रहे। अपने स्वार्थ के लिए दूसरों को हानि न पंहुचाये। छल - कपट से दूर रहे, दूसरे की चापलूसी न करे बल्कि स्वाभिमानी बनकर एवं गरिमा से हम अपनी जिंदगी जिए। सीख-3 कुटज परमार्थी है। वह दूसरों को छाया प्रदान करता है। यही इसका परोपकार भाव है। उसने अपने मन को वश में कर लिया है, इसलिए लोभ लालच से परे है। कुटज अपने मन पर सवारी करता है। इसलिए वह सुखी है क्युकी दु :खी वही होता है जिसका मन परवश में है। मनुष्य को भी कुटज की भांति लोभ और लालच से दूर रहकर परमार्थी बनना चाहिए और सुख, दुख से ऊपर उठकर जीवन जीना चाहिए।। हो गई पीर पर्वत की ग़ज़ल की सीख: अनाचार, अत्याचार, भुखमरी, बेकारी, शोषण और राजनैतिक दुर्व्यवस्था की पीर बढ़ते - बढ़ते राई से पर्वत हो गई है। जिसप्रकार हिमालय के पिघलने से गंगा जैसी अमृत धारा निकलती है, यह धारा सुखी, बंजर जमीन को हरियाली से भर देती है और अपनी घाटी के लोगों के लिए खुशियाँ लाती है। उसी प्रकार कवि चाहते है कि कोई तो व्यक्ति ऐसा हो जो इस अत्यचार, अनाचार शोषणरूपी पर्वत को पिघलाकर लोक और जग कल्याणरूपी धारा बहाएँ। कवि मानते है कि शोषण के खिलाफ समय - समय पर क्रांति के चर्चे होते है, थोड़े - बहुत फेर बदल भी किये जाते है, परन्तु मूल ढांचे में परिवर्तन नहीं होता। व्यवस्था में आमूल परिवर्तन लाने के लिए आज आवश्यकता है कि उसके बुनियाद को हिलाया जाये। आज आम आदमी संवेदनशून्य हो गया है, वह जिन्दा लाश के समान है। कवि अपनी रचना के माध्यम से भी फूँकना चाहते है। वह लोगों को प्रेरणा देते है कि भ्रष्टाचार, भाई - भतीजावाद, शोषण की जड़े इतनी गहरी पैठ गई है कि उन्हें उखाड़ फेकने के लिए व्यपाक क्रांति की जरूरत है। कवि यह मानता है कि यह काम कुछ लोगों के केवल हंगामा खड़ा करने से होने वाला नहीं है। इस संघर्ष में समाज के प्रत्येक व्यक्ति को अपनी हिस्सेदारी निभानी होंगी। कवि चाहते है कि किसी को तो आगे बढ़ना ही पड़ेगा। इस अन्याय के खिलाफ आवाज बुलंद करना ही पड़ेगा- मेरे सीने में नहीं तो तेरे सीने में सही। हो कहीं भी आग, लेकिन आग जलनी चाहिए।। धन्यवाद

Related articles

 WhatsApp no. else use your mail id to get the otp...!    Please tick to get otp in your mail id...!
 





© mutebreak.com | All Rights Reserved