वह चिड़िया जो चोंच मारकर दूध भरे जुंडी के दाने रस, रूचि से खा लेती है वह छोटी संतोषी चिड़िया नीले पंखो वाली मैं हूँ मुझे अन्न से बहुत प्यार है। वह चिड़िया जो कंठ खोलकर बूढ़े वन बाबा के खातिर रस उडेल कर गा लेती है वह छोटी मुँहबोली चिड़िया नीले पंखो वाली मैं हूँ मुझे विजन से बहुत प्यार है। वह चिड़िया जो चोंच मारकर चढ़ी नदी का दिल टटोल कर जल का मोटी ले जाती है वह छोटी गरबीली चिड़िया नीले पंखो वाली मैं हूँ मुझे नदी से बहुत प्यार है। धन्यवाद केदारनाथ अग्रवाल जी 🙏🏻