"प्रेम " सवेंदनशील, भावपूर्ण, और करुणापूर्ण शब्द है। जिसका व्याख्या करना कठिन है। तन से किया हुआ प्रेम वास्तविक में प्रेम नहीं हवस है। चेहरे, तन से वास्तविक प्रेम नहीं होता.. अपितु प्रेम वह माध्यम है जहां दो दिलों का मिलन कठिन परिस्थितियों में साथ निभाने, अडिगता से रहने के लिए होता है। जीवन के कई छोटे - बड़े अनुभव से ज्ञात हो चूका है कि वास्तविक प्रेम हमें स्वयं के साथ करना चाहिए। हम स्वयं के ही सबसे अच्छे मित्र या शत्रु बन सकते है।यह हमारे ऊपर निर्भर करता है कि हमने किस पथ को चुना है।
कितना अद्भुत बात है.. जब अगर कोई हमारी तारीफ करे तो हम ख़ुश हो जाते है.. अगर कोई बुराई करे तो दुख.. इसका अर्थ यह है कि हमने अपने जीवन की डोर की चाबी किसी और को दे दी है... इसलिए आज सभी से मिलने के समय है.. लेकिन स्वयं के साथ मिलने का समय नहीं।
आज मैं आपको बताऊंगी कि आप स्वयं से कैसे प्यार कर सकते है?
1. सेल्फ : सबसे पहले आपको स्वयं को समय देना होगा। स्वयं को जानने के लिए। अपनी हर छोटी से बड़ी कमजोरी, ताकत, इमोशन को जानने के लिए। अपने जीवन में सबसे खास मित्र अच्छी किताबों को बनाये, जो आपके विकास में सहायक होगी।
2. सकारात्मक : सकारात्मक विचार, सकारात्मक कार्य और सकारात्मक affirmation में वह शक्ति है, जिससे आपका एनर्जी बूस्ट होता है। आप स्वयं के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण बनाकर जीवन में आगे बढ़ने हेतु अग्रसर होते है। रोज सुबह स्वयं से निम्नलिखित वाक्य कहे :
1. मैं मानसिक और शारीरिक रूपसे मजबूत हूँ।
2. मैं निर्भय हूँ।
3. मैं मेहनती हूँ।
4. मैं कभी हार नहीं मानूँगा।
5. मैं विजेता हूँ।
सेट : अगर आप स्वयं से प्रेम करना चाहते है? तब आपको अपनी सारी बुरी आदतों का त्याग करना होगा। बुरी आदतों को अच्छी आदतों में बदलना होगा। स्वयं के लिए बौडारीज तय करना होगा। कई बार हम ऐसे कार्यों के लिए हामी भर देते है, जो हम करना नहीं चाहते है। जिसका प्रभाव हमारे तन और मन पर पड़ता है। हम स्वयं के प्रति चिड़चिड़ा महसूस करते है। इसलिए यह अत्यंत जरुरी है कि अपने जीवन में सीमांकन तय करे।
आध्यत्मिक : वास्तव में स्पीर्चुअल में वह शक्ति है, जिससे आपका मन शुद्ध हो सकता है। आप अपने जीवन को सकारात्मक, आशा, प्रेम, करुणा और परोपकार से पूर्ण हो सकता है। खुद का अनुभव आपको बताना चाहती हूँ, जब आध्यत्मिक में गुस्सा, मांस खाने की आदत का त्याग, घृणा, नफ़रत यह सभी दूर होने लगा। और स्वयं के प्रति सकारात्मक सोच से आगे बढ़ने की राह पर चलने लगी। आध्यात्मिक वह शक्ति है, जिससे आपका मन शुद्ध हो सकता है।
लर्न : जब मैं 14 साल की थी, तब एहासास हुआ कि लड़कियों का नाम और उसका अपना घर नहीं होता। शादी, बच्चे, पति की सेवा इन सभी कार्यों में उनका जीवन निकल जाता है। स्वयं के जीवन को जी नहीं पाती। तब से यह मैंने यह संकल्प लिया कि मैं खूब अच्छे से पढूंगी और पढ़कर अपने हर छोटे से बड़े ख़्वाबों को पूर्ण करूंगी..। आपको पता है मैं हमेशा स्वयं को याद दिलाती रहती हूँ कि काजल तुम एक लड़की हूँ, तुम्हें अच्छे से पढ़कर आगे बढ़ना है। यह धारणा के कारण मैंने स्वयं से प्रेम करना सीख लिए। मैं इस लाइफ साइकिल में आना नहीं चाहती.. मैं अपने जीवन को प्रेम, मधुरता और उमंग से जीना चाहती हूँ।
हॉबीस : हॉबीस में वह शक्ति है, जिससे आप अपने पैशन को ढूंढ पाते है या अपने पैशन के विकास में वृद्धि कर पाते है। स्वयं से प्रेम करना बेस्ट तरीका है। अच्छे - अच्छे हॉबीस, एक्टिविटीस में शामिल करे। जिससे आपका आत्मविश्वास, आत्मबल, आत्मज्ञान और आत्मशक्ति बढ़ेगा।
बंद : अब बस! अब बंद भी कीजिये स्वयं को कष्ट पहुंचना। दूसरों के लिए स्वयं को कष्ट पहुँचाना। मानव शरीर क्षण भंगूर कभी भी यह शरीर भंग हो सकता है.. इसलिए अपने जीवन के उद्देश्य पर ध्यान केंद्रित करे। अपने लक्ष्य के लिए कड़ी से कड़ी मेहनत करे.. एक दिन जीत जरूर आपकी होगी।
लक्ष्य : लक्ष्य में वह शक्ति है, जिससे आप आपका पूरा ऊर्जा, शक्ति, मेहनत और ध्यान लक्ष्य पर केंद्रित होता है। लक्ष्य ही आपको स्वयं से प्रेम करना, कड़ी मेहनत करना और भय का सामना करना सिखाती है। जिससे आपका आत्मविश्वास बढ़ता है। यदि आपको स्वयं से प्रेम करना है तो सबसे पहले अपने लक्ष्य को बड़ा करे.. बड़ा लक्ष्य ही आपको ऊर्जा, साहस और हिम्मत देती है।
यह कुछ टिप्स है, जिससे आप स्वयं से प्रेम कर सकते है। विवेकानंद जी के शब्दों में अगर आप स्वयं से नहीं मिलते तब आपने सबसे महत्वपूर्ण व्यक्ति खो दिया। स्वयं से प्रेम करे, तब ही आप जीवन के हर पथ पर विजय पथ जीत हासिल कर सकते है । लेकिन याद रखे.. स्वयं के साथ प्रेम करने के साथ दूसरों को सम्मान देना ना भूले।
धन्यवाद
काजल साह
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