मन - मोहिनी सी तेरी मुस्कान
मैं तेरे समक्ष तृणवत्त हूं
तू खिली प्रसून है
मैं खुला रत्नेश हूं
तू मेरी नवल है
मैं तेरा आलोक हूं
तू सुरभि है
मैं तेरा हर पल हूं।
तू संध्या सुंदरी है
मैं प्रभात का नवल हूं
तू ही मेरे हे पल की साक्षी
मैं तेरा अनुयायी हूं
तू मेरा स्वप्न है
तू ही मेरा हर अवसर है
मैं मग्न हूं, तेरे एहसास में
मैं व्याकुल हूं, तेरे इंतजार में
तू ही मेरा आत्मीय
मैं तेरा आत्मीय हूं।
धन्यवाद
काजल साह
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