शास्त्रों में ऋतुराज वसंत को सभी ऋतुओं का राजा बताया गया है। इस मौसम में ऋतु परिवर्तन हर ओर दिखाई देना लगता है। मान्यता है कि वसंत पंचमी के दिन माता सरस्वती के साथ कामदेव और उनकी प्रिया रति की भी पूजा की जाती है। माघ शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि पर ही देवी सरस्वती की कृपा से संसार के सभी जीव-जंतुओं को वाणी के संग बुद्धि और विद्या मिली थी। कला, संगीत, साहित्य के क्षेत्र से जुड़े लोग इस दिन विशेषकर मां सरस्वती की पूजा करते हैं।
वसंत पंचमी के दिन ही कामदेव और रति ने पहली बार मानव ह्रदय में प्रेम और आकर्षण का संचार किया था। इस दिन कामदेव और रति के पूजन का उद्देश्य दांपत्य जीवन को सुखमय बनाना है। माना जाता है कि ऐसा करने से जीवन में पारिवारिक प्रेम, स्नेह, प्रसन्नता आदि में वृद्धि होती है। शास्त्रों में कामदेव को प्रेम का देवता और ऋतुराज वसंत का मित्र कहा गया है। कामदेव व्यक्ति के जीवन में प्रेम का संचार करते हैं और देवी रति श्रृंगार का।
पौराणिक मान्यता के अनुसार वसंत पंचमी के दिन कामदेव और रति स्वर्ग से पृथ्वी पर आते हैं। उनके आगमन से ही धरती पर वसंत ऋतु का आगमन होता है। इनके कारण ही मन में एक नई उमंग जागती है, प्रकृति भी हरियाली और फूलों का श्रृंगार करती है। वसंत पंचमी पर सृष्टि में प्राणियों के बीच प्रेम भावना बनी रहे, इसलिए वसंत पंचमी कामदेव और रति की पूजा अवश्य की जाती है। शास्त्रों के अनुसार प्रेम के स्वामी कामदेव और उनकी पत्नि के नृत्य से ही पशु, पक्षियों और मनुष्यों में प्रेम और काम के भाव जागृत होते हैं। कामदेव की कृपा से ही लव लाइफ, वैवाहिक संबंधों में मधुरता आती है। देवी रति को प्रेम, सौंदर्य, आकर्षण, प्रतिभा और कामना की देवी माना जाता है।
वसंत पंचमी के दिन प्रातः स्नान के बाद पीले वस्त्र पहन कर कामदेव और रति की पूजा करें। विवाहित जोड़े या प्रेमी युगल साथ में कामदेव और रति का पीले फूल, गुलाब, अक्षत्, पान, सुपारी, इत्र, चंदन, माला, फल, मिठाई, सौंदर्य सामग्री आदि से पूजन करें। जिनके विवाह में देरी हो रही है, वे रति को 16 श्रृंगार सामग्री चढ़ाएं। उसके बाद ओम कामदेवाय विद्महे, रति प्रियायै धीमहि, तन्नो अनंग प्रचोदयात्. मंत्र का जाप करें। इससे कामदेव प्रसन्न होते हैं। वसंत पंचमी को जो कोई भी कामदेव का पूजन करते हैं उनको सुंदर शरीर प्राप्ति का वरदान मिलता है एवं उनका दांपत्य जीवन खुशियों से भर जाता है।
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