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06/08/2024 Kajal sah Development Views 327 Comments 0 Analytics Video Hindi DMCA Add Favorite Copy Link
स्वयं को कैसे तैयार करें?

जिसके हाथों में शक्ति, पैरों में गति, ह्रदय में ऊर्जा एवं आँखों में सपने होते है उसे ही युवा कहते है। सशक्त युवा ही किसी भी देश के मजबूत स्तम्भ होते है। अगर किसी देश का युवा सशक्त हो तब देश विकास के पथ की ओर अग्रसर होता है लेकिन असशक्त युवाओं से देश विनाश की ओर अग्रसित होता है। इसलिए युवाओं को शिक्षा से लेकर हर महत्वपूर्ण क्षेत्रों में सशक्त बनना चाहिए। आज इस निबंध के माध्यम से यह जानने की कोशिश करेंगे कि युवा स्वयं को कैसे तैयार कर सकते है? कैसे स्वयं पर आर्थिक रूप से निर्भर बन सकते है? कैसे विकसित भारत के स्वप्न को पूर्ण करने में योगदान दे सकते है? स्वयं को कैसे तैयार करें? युवा होने का अर्थ है, जीवन के नए रास्ते तलाशने और अपनी क्षमताओं को निखारने का समय। जितना आप स्वयं पर कार्य करते है अर्थात जितना आप स्वयं को निखारते है.. उतना ही आप आगे बढ़ते है। इसलिए यह समय है स्वयं को स्वर्ण बनाने का। कुछ महत्वपूर्ण बिंदुओं पर ध्यान देने की नितांत आवश्यकता है : 1. ताकत : ईश्वर के द्वारा बनाया गया सबसे श्रेष्ठ प्राणी मनुष्य है।मनुष्य जो सोच सकता है, वह कर भी सकता है। मनुष्य के कल्पनाशक्ति एवं मेहनत के वजह है आज हम सभी पत्थर युग से विकास के युग में आ चुके है।सुई से लेकर रॉकेट इत्यादि सब मनुष्य ने अपनी बुद्धि से बनाया है।हर मनुष्य से अपार क्षमता है, लेकिन अधिकांश लोग स्वयं पर विश्वास नहीं करते.. स्वयं को कमजोर समझते है। इन सभी का महत्वपूर्ण कारण है आत्मनिरीक्षण का आभाव। स्वयं को बेहतरीन बनाने का पहला पड़ाव है स्वयं को अच्छे से जानना।अपनी ताकत अपनी कमजोरियों का गहन विश्लेषण करना। जिसमें आप अच्छे है, उस क्षेत्र में बेहतरीन तरिके से कार्य करें और जिस क्षेत्र में आप कमजोर है। उस कमजोरी को अपना मजबूती बनाने का प्रयत्न करें। कई बार नकारात्मक विचार आ सकते है लेकिन नकारात्मक विचार, नकारात्मक लोगों को अपने ऊपर हावी होने नहीं देना है। आपको शांति एवं प्रेम से स्वयं पर कार्य करना है। # रुचियां / पैशन : 2020 की बात है.. लॉकडाउन का समय।मेरा मन बहुत उदास एवं बेचैन रहता था। क्युकी मैं ज्यादातर समय खाने -पीने, सोने इत्यादि में व्यय कर देती थी। कुछ सार्थक कार्य, उत्कृष्ट कार्य में नहीं करती थी। लेकिन आत्मनिरीक्षण के बाद मैंने अपनी रुचियों को ढूँढा। रुचियों पर कार्य करने के बाद पब्लिक स्पीकिंग, राइटिंग और टीचिंग मेरा पैशन बन चूका है।आप भी अपनी रूचि / पैशन मालूम कर सकते है। आप जरूर इकिगाई किताब पढ़े। mutebreak.com कुछ दिन पहले ही मैंने इकिगाई पुस्तक के सारांश को मैंने पोस्ट किया है। आप एक बार जरूर पढ़े। जिसके माध्यम से आप अपने पैशन / रूचि को ज्ञात कर पाएंगे और अपने पैशन से अर्निंग भी कर पाएंगे। # विकसित : हमें हमेशा याद रखना चाहिए, कोई भी इंसान पूर्ण नहीं होते है।युवा खुद को दूसरी से तुलना करके स्वयं को कमजोर समझते है। हमें यह समझना चाहिए कि लीडर पैदा नहीं होते है वह बनते है। अगर किन्ही के पास प्राकृतिक गुण है तो अच्छा है लेकिन हमारे पास विकल्प है ना? आचर्य प्रशांत जी अपनी पुस्तक जानदार व्यक्तित्व में लिखते है आपका श्रेय है, जितनी भी आपको प्रतिभा मिली है, उसका उपयोग करके प्रतिभा से आगे के काम करना। आप प्राकृतिक रूप से जिज्ञासु नहीं हो, कोई बात नहीं, आपके पास विकल्प तो है न? प्रतिभा नहीं है, विकल्प तो है। सीखे - सिखाये नहीं पैदा हुआ, सीखने का विकल्प तो है! बहुत कुशाग्र बुद्धि लेकर नहीं पैदा हुए, बहुत हाई IQ लेकर नहीं पैदा हुए, लेकिन फिर भी अभ्यास और अनुशासन का विकल्प तो है!आसानी से हो सकता है आपको कोई बात न समझ में आ रही हो, आप प्रतिभाशाली नहीं है, लेकिन धैर्यपूर्वक लगन के साथ अभ्यास करने का विकल्प तो है ना! तो इस विकल्प की महिमा है। सदा इस विकल्प की बात की जानी चाहिए, प्रतिभा की नहीं। आज हमारे पास इंटरनेट है, देश से लेकर विदेश के महत्वपूर्ण ज्ञान को घर बैठकर सीख सकते है। स्वयं को आगे बढ़ाने के लिए आपको निरंतर सीखना चाहिए। 2. लक्ष्य : अगर किसी इंसान के जीवन में कोई लक्ष्य नहीं होता है, तो वह चाहे कितनी मेहनत कर ले,सफल नहीं हो पाता है। बिना लक्ष्य के जीवन शून्य है। इसलिए जीवन में हर युवा का शार्ट टर्म एवं लॉन्ग टर्म गोल्स होना चाहिए। जीवन में सार्थक लक्ष्य होने से समय एवं ऊर्जा उचित उपयोग होता है। # आत्मनिरीक्षण, स्वयं के रुचियों इत्यादि जानने के बाद अब आपको स्वयं का लक्ष्य निर्धारित करना है। स्पष्ट एवं सार्थक लक्ष्य तय करें। तभी आप सही दिशा में आप अपना समय एवं ऊर्जा व्यय कर पाएंगे। 3. स्वास्थ्य : जीवन में सार्थक संगत से जीवन विकास की ओर बढ़ता है और गलत संगत से जीवन विनाश की ओर। क्युकी संगत का असर पड़ता है। देखा यह जाता है कि कई युवा गलत दोस्तों का चयन कर लेते है।बुरी - बुरी आदतें, आचरण समावेश होने लगती है। बहुत कम उम्र के युवा धूम्रपान का सेवन करते है। जिसका व्यापक प्रभाव उनके स्वास्थ्य पर पड़ता है। स्वस्थ तन में ही स्वस्थ मन निवास करता है। शारीरिक रूप से मजबूत मानसिक रूप से सशक्त युवा एवं अध्यात्मिक रूप से विकसित युवा ही देश के विकास में योगदान दे सकते है। इसलिए युवाओं को अपना ध्यान रखना चाहिए। # स्वस्थ आहार : युवाओं को स्वस्थ आहार का सेवन करना चाहिए। जंक फ़ूड, ड्रिंक इत्यादि का सेवन नहीं करना चाहिए। जिसका व्यापक प्रभाव उनके स्वास्थ्य पर पड़ता है। # नियमित व्यायाम एवं किताब पढ़ना : जिस प्रकार तन की मजबूती के लिए संतुलित आहार, व्यायाम, खेलकूद जरुरी है ठीक उसी प्रकार मन के मजबूती के लिए ज्ञान जरुरी है। अपने टेक्स्ट बुक के अलावा विभिन्न धर्म के ग्रंथ पढ़े, सेल्फ हेल्प मेक किताबें पढ़े। शारीरिक विकास के साथ मानसिक विकास अत्यंत आवश्यक है। 4. विचार : मनुष्य विचारों से निर्मित प्राणी है, जैसा वह सोचता है.. वैसा ही वह बन जाता है। इसलिए यह बेहद जरुरी है कि अपने विचारों को स्वच्छ अर्थात सकारात्मक रखे।कई बार परिस्थितियां ऐसी आ जाएगी.. जिसमें हिम्मत टूटने - सा लगेगा। लेकिन आपको हार नहीं मानना है। आपको कठिन परिस्थितियों में अडिगता से लड़ना है। # सोच : सोच दो प्रकार की होती है -1. नकारात्मक सोच 2. सकारात्मक सोच। सकारात्मक सोच में वह अद्भुत शक्ति है, जो कभी भी आपको हारने नहीं देगी कठिन परिस्थियों में। सकारात्मक सोच आप खुद के अलावा दूसरों के भी चहिते बनने लगते है। सकारात्मक सोच का महत्व ................................. # आत्मविश्वास: सकारात्मक सोच में वह सशक्त शक्ति है, जिससे आपक आत्मविश्वास बढ़ता है।आपके सकारात्मक सोच एवं आपके आत्मविश्वास को सभी लोग पसंद करने लगते है। # आभार : सकारात्मक सोच एवं सकारात्मक दृष्टिकोण में मजबूत शक्ति है। आप अपने जीवन में ईश्वर हमेशा आभार व्यक्त करने लगते है। सकारात्मक सोच के माध्यम से किसी भी व्यक्ति के बारे में बुरा नहीं सोचते है। इसलिए आगे बढ़ने के पथ में सकारात्मक सोच के साथ सकारात्मक कार्य अनिवार्य है। 4. आत्म-विकास : कुछ और महत्वपूर्ण टिप्स है आत्म- विकास के लिए। जो हर युवाओं को जरूर करना चाहिए। #मैडिटेशन : मन एवं तन को शांत करने के लिए मैडिटेशन बहुत अनमोल माध्यम है। आज के समय युवाओं का किसी भी कार्य में फोकस पावर बेहद ही कम हो रहा है। आज के समय में डीप वर्क एक महत्वपूर्ण स्किल है। तन एवं मन एकाग्र रहेगा तब ही डीप वर्क संभव है। मानसिक और शारीरिक शांति, फोकस पॉवर के लिए मैडिटेशन बेहद ही कारगर तरीका है। जो हर युवाओं को अपने जीवन में शामिल करना चाहिए। # लिखें : प्रतिदिन रोज सुबह अपने लक्ष्य को डायरी / कॉपी में लिखें। इस प्रक्रिया को जर्नलिंग कहते है। जर्नलिंग भी एक सशक्त प्रक्रिया है, जिससे आप अपने लक्ष्य तक पहुँच सकते है। # स्वयं : सभी के साथ मिलने का समय है लेकिन खुद से मिलने का समय ही नहीं है।आचार्य प्रशांत जी ने कहा था - दूसरे से प्रेम करने से पहले खुद से प्रेम करना चाहिए। आप स्वयं से प्रेम तब ही कर पायेंगे जब आप स्वयं के साथ अकेले समय बिताएंगे। अकेले घूमने जाये, नए -नए कल्चर, सामग्री को explore करें। खुद से प्रेम करें। यह कुछ महत्वपूर्ण स्टेप्स है, जिसके माध्यम से युवा खुद को तैयार कर सकते है। उपरोक्त के अलावा घरेलु कार्य भी सीखे, समय प्रबंधन, सकारात्मक लोगों से जुड़े, सही मेंटोर खोजें, दूसरों का भी सहयोग करें। धन्यवाद काजल साह

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