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15/08/2024 Kajal sah Development Views 343 Comments 0 Analytics Video Hindi DMCA Add Favorite Copy Link
WEAK VS STRONG

जिस प्रकार स्वस्थ तन अनिवार्य है, ठीक उसी प्रकार स्वस्थ अर्थात स्ट्रांग माइंडसेट बेहद ही अनिवार्य है। शून्य से शिखर अर्थात फर्श से अर्श तक पहुँचने के लिए स्ट्रांग माइंडसेट का होना बेहद ही जरुरी है। स्ट्रांग माइंडसेट अर्थात अपने काबिलियत पर भरोसा, निरंतर अभ्यास एवं प्रयासरत रहना, कड़ी मेहनत करना और लक्ष्य को पाने के लिए असीम लालसा, असीम जिद्द। आज इस निबंध के माध्यम से हम यह जानने का प्रयास करेंगे कि अपने माइंड को स्ट्रांग कैसे बना सकते है? कैसे अपने माइंड को लक्ष्य के लिए स्ट्रांग बना सकते है? क्या आप तैयार है कि स्ट्रांग माइंड बनाने के लिए? महत्वपूर्ण टिप्स ................... 1. गहराई : गाँधी जी ने कहा था - दुनिया में जो बदलाव जो आप लाना चाहते है, उसकी शुरुआत स्वयं से करें। सबसे पहले आपको खुद को गहराई से जानना होगा। आप किस बात / किस क्रिया पर कैसे प्रक्रिया लेते है। अपनी मजबूतियों को, अपनी कमजोरियों को इत्यादि हर महत्वपूर्ण बिन्दुओ को गहराई से जानने का प्रयास करें। डरे नहीं अपनी हर कमजोरियों को स्वीकार करें। अपनी हर बुरी आदतों को स्वीकार करें। गहराई से अध्ययन के बाद अपनी कमजोरियों को सुधारने के लिए काम करें। 2. ताकत : हर व्यक्ति में कमजोरी और मजबूतियाँ दोनों मौजूद रहती है। लेकिन कुछ ऐसे भी व्यक्ति होते है, जो अपने ताकतों पर ध्यान नहीं देते। और अपनी कमजोरीयों को लेकर हमेशा दुख रहते है। यह उदासीनता का प्रभाव मनुष्य के माइंडसेट पर पड़ता है। हमें यह समझने की आवश्यकता है कि कोई भी मनुष्य परफेक्ट अर्थात पूर्ण नहीं है। अगर आप पेंटिंग में अच्छे है, खेलकूद में अच्छे है तब आप उसमें और सुन्दरता लाइए। अगर आप कम्युनिकेशन, लेखन, पढ़ाई में स्वयं को कमजोर समझते है तब आप नियमित रूप से वीक फील्ड पर कार्य करें। हमारे पास विकल्प है.. हमारे पास चयन है सीखने का। हमें हमेशा याद रखना चाहिए कि लीडर जन्म नहीं लेते.. लीडर बनते है। 3. सकारात्मक : जीवन का सबसे बड़ा शत्रु नकारात्मक विचार, नकारात्मक लोग, नकारात्मक कार्य है। जो धीरे - धीरे मन को कमजोर कर देती है। नकारात्मकता वह शत्रु है,जो आपके आत्मविश्वास, कौशल, कला इत्यादि को नष्ट कर सकती है। इसलिए यह बेहद अनिवार्य है कि स्ट्रांग माइंडसेट बनाने के लिए आपको अपने जीवन में सकारात्मक विचार से लेकर सकारात्मक कार्य को सदैव के लिए अपने जीवन में शामिल करना अनिवार्य है। सकारात्मकता की शक्ति से आप नकारात्मकता जैसे व्यापक शत्रु को पराजय कर सकते है। 4. सीखना : सीखना जीवन पर्यन्त क्रिया है।सीखने के लिए कोई उम्र सीमित नहीं है। जिस दिन हम सीखना छोड़ देते है, उसी दिन से पतन शुरू होता है। निरंतर सीखने से हमारा माइंड मजबूत, दृढ़ विश्वासी एवं तेज़ बन सकता है।आज का युग इंटरनेट का युग है। आज के समय में बहुत सारी टेक्नोलॉजी का आगमन हो रहा है। तेज़ी से बदलते समय के साथ अगर हम नहीं बदलेंगे तो हमारा पतन हो सकता है। इसलिए अपने फ्री टाइम केवल मनोरंजन पर ही ध्यान ना दे.. मनोमंजन पर भी ध्यान केंद्रित करें। यूट्यूब, विभिन्न वेबसाइट इत्यादि के माध्यम से आप फ्री स्किल्स सीखकर स्वयं को आगे बढ़ा सकते है। ज्ञान से आपका आत्मविश्वास बढ़ता है। आप एक दृढ़ व्यक्ति बन जाते है। 5. लक्ष्य : लक्ष्य बिना जीवन व्यर्थ है। जीवन में सार्थक एवं स्पष्ट लक्ष्य जब तय रहता है, तब समय एवं ऊर्जा का सदुपयोग होता है। समय एवं ऊर्जा का सदुपयोग से माइंड मजबूत बनता है। इसलिए अनिवार्य है कि आप अपने जीवन में गोल्स तय करें। बड़ा लक्ष्य, सार्थक एवं स्पष्ट लक्ष्य तय करें। 6. अनुशासन :सफलता तक पहुँचने का रास्ता है अनुशासन। अगर आप अनुशासन से नियमित रुप से पढ़ते है, सीखते है, अभ्यास करते और डेली गोल्स को हमेशा पूर्ण करते है। तब आप एक दिन जरूर ही सफलता तक पहुँच जायेंगे। मजबूत मानसिकता के लिए अनुशासन सबसे महत्वपूर्ण पहलू। प्रेरणा से भी सबसे महत्वपूर्ण है अनुशासन है।अनुशासनहीन व्यक्ति जीवन में अपने लक्ष्य तक नहीं पहुंच पाते है, क्युकी कमजोर माइंडसेट का मुख्य कारण अनुशासनहीनता है।इसलिए अगर आप अपने माइंडसेट को मजबूत माइंडसेट बनाना चाहते है, तब अपने जीवन से बहाना को दूर और अनुशासन को जीवन में सदैव के लिए अपनाइये। यकीन मानिये जिस दिन आप अनुशासन को अपने जीवन में अपना लेते है, उस दिन से आपका जीवन सुंदर बनने लगता है। 8. स्वास्थ्य और आभारी : स्वस्थ तन में ही स्वस्थ मन वास करता है। स्ट्रांग माइंडसेट की प्रक्रिया में स्वस्थ तन अर्थात शारीरिक रूप से स्वस्थ होना भी अनिवार्य है। इसलिए नियमित रूप से व्यायाम करें, स्वस्थ भोजन ले,अच्छी -अच्छी किताबों का अध्ययन करें। जिसके माध्यम से आपका तन और मन दोनों मजबूत होगा। ऐसे कार्य में अपने समय का उपयोग जिससे करने में आपको अच्छा लगता है। ऐसे लोगों के साथ रहे है, जिनके साथ रहकर आपको ख़ुशी मिलती है,आपको सकारात्मक ऊर्जा, सकारात्मक विचार मिले इत्यादि। जीवन में अंहकार के आगमन से मन कमजोर होने लगता है। यह अहं भावना मनुष्य में मौजूद हर सदगुणों को नष्ट कर देती है। इसलिए अहं को अपने जीवन दूर करने के लिए नम्रता का भाव जगाइये। ईश्वर के प्रति, लोगों के प्रति आभार व्यक्त करें। जिससे धीरे - धीरे अहं भाव जीवन से दूर होने लगता है। आप एक प्रसन्नतापूर्वक जीवन जीने की ओर अग्रसर होते है। इस कुछ महत्वपूर्ण टिप्स है। आशा करती हूं कि आपके लिए लाभदायक सिद्ध हो सकता है।उपरोक्त टिप्स के अलावा व्यवधानों से बचे, अपने आप को माफ़ करें (लेकिन हर बार नहीं ), लक्ष्य की प्राप्ति के बाद खुद को पुरस्कृत करें, हमेशा दृढ़ रहे इत्यादि। धन्यवाद काजल साह

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