मित्रता बहुत अनमोल एवं श्रेष्ठतम रिश्ता है।मित्रता का संबंध केवल एक - दूसरे के साथ घूमना,बातचीत करने तक नहीं है,बल्कि सच्ची मित्रता वह है ,जो निस्वार्थ भाव से निभायी जाएं। आज इस निबंध मैं आप सभी के साथ शेयर करूंगी कि सच्ची मित्रता और दिखावटी मित्रता को कैसे पहचाने ? सच्ची मित्रता में मित्र एक -दूसरे को आगे बढ़ने में साथ निभाते,भले ही सुख में सम्मिलित ना हो लेकिन दुखी के समय हमेशा अपने मित्र का साथ निभाते हैं।
1. साथ: प्राचीन काल के श्रेष्ठतम कवियों में कवि तुलसीदास ने भी अपने दोहे में सच्चे मित्र की विशेषता बताते हुए कहते हैं कि जो लेने - देने में मन में शंका न रखे। अपनी सामर्थ्य के अनुसार सदा ही हित करता रहे। विपत्ति के दिनों में सौगुना स्नेह करे - वेदों के अनुसार श्रेष्ठ मित्र के यही गुण हैं। सच भी यह है कि सच्ची मित्रता में स्वार्थ का कोई स्थान नहीं है अर्थात सच्चा मित्र अपने मित्र के कठिन परिस्थित में साथ निभाता/ निभाती है। सुख के क्षणों में भले ही मित्र शरीक ना हो पाए लेकिन कठिन परिस्थित में साथ निभाते हैं । लेकिन जब बात की जाएं दिखावटी दोस्ती की तब वह आपके साथ तभी होते/ होती हैं,जब आपके सुख के क्षण में अर्थात सब कुछ अच्छा चल रहा हो लेकिन विपदा में वह मित्र आपसे दूर चले जाते है।
2. स्वार्थी और निस्वार्थ : सच्ची मित्रता विशुद्ध एवं निस्वार्थ का प्रतीक है। मित्रता में यह तय नहीं है कि अगर वह मदद करेगा / करेगी तब ही मैं मदद करूंगा / करूंगी। सच्ची मित्रता में मित्र अपनी क्षमता के अनुसार जरूर अपने मित्र की मदद करते हैं।लेकिन जब दिखावटी मित्रता का जिक्र होता है,तब वह आपसे स्वार्थ के लिए ही जुड़े हुए होते हैं।जब उनको आपकी जरूर होती है,तब ही वह आपके
पास आते हैं।ऐसे दिखावटी मित्र से दूर ही रहना चाहिए,जो केवल आपको याद करते है अपने स्वार्थ के क्षण।
3. प्रतिक्रिया और वाणी:उन्नति ,उल्लास और उमंग का चिह्न है मित्रता।एक - साथ ऊंचाई की ओर बढ़ने की नाम है मित्रता। सच्ची मित्रता में घृणा ,नफरत ,दुश्मनी, ईष्र्या इत्यादि का कोई स्थान नहीं है बल्कि यह सच्ची मित्रता प्रेम ,निस्वार्थ,एकता इत्यादि सद्गुणों पर केंद्रित रहती है। सच्ची मित्रता वह है जो मित्र की सफलता में खुश हो और एक - साथ उन्नति की ओर बढ़े।लेकिन दिखावटी दोस्ती में मित्र के मन में छल,कपट और ईर्ष्या रहता है और उस मित्र को नीचे गिराने की प्रतिपल - प्रतिक्षण कोशिश करता है।ऐसी मित्रता बहुत घातक होती है।
सच्ची मित्रता में सच्चा मित्र आपकी कमजोरियों ,आपकी गलतियों और गलत रास्ते पर जाने से रोकते हैं और सबके समक्ष कभी आपकी बेइज्जती नहीं करता/करती है अर्थात सच्चा मित्र आपके सामने सच बोलता है,भले ही वह कड़वा क्यों न हो।
5. आलोचना और चापलूसी:आलोचना और चापलूसी में अंतर है। सच्ची मित्रता में सच्चा मित्र अपनी मित्र की चापलूसी नहीं बल्कि उसकी गलती करने पर रोकता है और उसकी आलोचना केवल उसके समक्ष ही करता है लेकिन दिखावटी मित्रता में मित्र अपने मित्र की कमियों , गलतियों पर हंसते है अर्थात मजाक उड़ाते हैं, उनकी चापलूसी करते हैं।
ये कुछ चिह्न है,जिससे आप पहचान सकते हैं कि आपकी मित्रता सच्ची है या दिखावटी। उपरोक्त चिह्न के अतिरिक्त चिह्न है - वक्त देने की इच्छा,संकट में प्रयास करते हैं कि अपने अनुसार आर्थिक मदद करना, पीठे पीछे व्यवहार इत्यादि। आशा करती हूं कि यह निबंध आपको अच्छा लगा होगा।
धन्यवाद
काजल साह
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