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20/08/2024 Kajal sah Development Views 231 Comments 0 Analytics Video Hindi DMCA Add Favorite Copy Link
रील्स VS ज्ञान

सार्थकतापूर्ण एवं सम्मानपूर्ण जीवन जीने के लिए पढ़ायी करना जरुरी है। सरलता के दौर में लोग मेहनत, अभ्यास और संयम से धीरे - धीरे दूर जा रहे है। इंटरनेट वरदान है, जिसके माध्यम से सरलता और सफलता से किसी भी विषय के बारे में ज्ञान हासिल कर सकते है। लेकिन आज युवाओं का संबंध ज्ञान से धीरे - धीरे दूर होते जा रहा है। इंटरनेट वरदान है अगर उसका उपयोग सार्थकता एवं जीवन को उपयोगी बनाने के लिए किया जाये तब.. लेकिन इंटरनेट उनलोगों के लिए अभिशाप जो इंटरनेट को उपयोग सही से नहीं कर रहे है।स्वामी जी ने अपनी पुस्तक व्यक्तित्व विकास में उन्होंने लिखा था - जीवन का उद्देश्य केवल सुख प्राप्ति नहीं होना चाहिए, जीवन का उद्देश्य ज्ञान प्राप्ति भी होना चाहिए। आज के युवाओं का अधिकांश समय रील्स देखने, गप्पे लड़ाने में, प्यार - मोहब्बत में व्यय हो जाता है। समय एवं ऊर्जा का सदुपयोग करना हर व्यक्ति का कर्तव्य होना चाहिए। पढ़ना सिर्फ किताबों तक सीमित नहीं है, ज्ञान एक सागर है जो हमें जीवन के हर पहलू को बेहतर ढंग से समझने में मदद करता है। आज इस निबंध के माध्यम से हम यह जानने का प्रयास करेंगे कि आज के युवाओं को पढना क्यों जरुरी है? क्यों शिक्षित होना जरुरी है? पढ़ना क्यों जरुरी है, महत्वपूर्ण कारण : 1. विकास : जिस प्रकार तन को स्वस्थ एवं संतुलित रखने के लिए हम भोजन करते है, ठीक उसी प्रकार मन अर्थात मानसिक स्वस्थ को सशक्त बनाने के लिए ज्ञान जरुरी है। ज्ञान वह दीपक है, जिसके आलोकित प्रकाश से मन का अंधकार धीरे - धीरे दूर होने लगता है। ज्ञान हमारे दिमाग को सक्रिय करता है। रोजाना पढ़ने से नये - नये जानकारियां प्राप्त होती है। जिससे क्रिएटिविटी, व्यावहारिक ज्ञान, बौद्धिक कौशलता में विकास होता है। बौद्धिक विकास के लिए पढ़ना बेहद जरुरी है। 2. विश्वदृष्टि : ज्ञान जिज्ञासा का द्वार है। शिक्षा के माध्यम से विश्व की असीमित ज्ञान के बारे में जानकारी हासिल कर सकते है। देश से लेकर विदेश के विभिन्न क्षेत्रों की संस्कृत, सभ्यता, रीति - रिवाज, जीवन शैलियों इत्यादि से परिचित हो सकते है। राष्ट्र से अंतराष्ट्रीय विभिन्न स्तर पर ज्ञान हासिल करने से सोचने - समझने के दायरा में विकास होता है। 3. समस्या समाधान :पुस्तकीय समस्या से लेकर जीवन में आये समस्याओं का समाधान ज्ञान के माध्यम से सम्भव है। पुस्तकीय ज्ञान, व्यवहारिक ज्ञान, कौशल ज्ञान इत्यादि में असीमित शक्ति है, जिससे समस्याओं का निवारण सार्थकता एवं स्पष्टता से किया जा सकता है।ज्ञान हमें ऊंचाई की ओर ऊपर उठना सिखाती है। जीवन में कठिन परिस्थितियों से लड़ना सिखाती है और चुनौतीयों से सार्थकता से लड़ना सिखाती है। अगर आप भी समस्या समाधान कौशलता को विकसित करना चाहते है, तब आपको अच्छे से पढ़ना चाहिए। शिक्षा आपको भावी जीवन के लिए निर्मित करती है। पुस्तकीय ज्ञान के साथ विभिन्न कौशल ज्ञान अर्जित करे, व्यावहारिक ज्ञान इत्यादि हासिल करने का पूरा अभ्यास करें। 4. तर्कशक्ति :नेताजी सुभाषचंद्र बोस जी ने कहा राष्ट्र की शक्ति नागरिकों शक्ति में निहित होती है। अर्थात जब देश के नागरिक सशक्त होंगे तब ही देश विकास करेगा।नागरिकों के चरित्र से ही देश का चरित्र निर्मित होता है। किसी भी व्यक्ति का चरित्र अनुपम के निर्माण में शिक्षा बेहद ही अनिवार्य है। शिक्षा वह बहुमूल्य गुण है, जिसके माध्यम से हम अपने विचारों को दूसरे के समक्ष रख पाते है, अपने हक के लिए लड़ पाते है और अपने भारत देश को विकसित बनाने में अपना योगदान दे सकते है। सविंधान के जनक डॉ भीम राव अम्बेडकर जी ने कहा था - शिक्षित बनो, संगठित रहो एवं संघर्ष करो। खूब पढ़िए और अपने व्यक्तित्व में निखार लाइए। 5. व्यक्तित्व विकास : आपका चरित्र जिस प्रकार है, वही आपका व्यक्तित्व है। व्यक्तित्व अच्छी एवं बुरी आदतों से निर्मित होती है।शिक्षा वह बहुमूल्य रत्न है, जिससे हमारे चरित्र में चार - चाँद लग जाता है। नयी चीज़ें सीखने से आत्मविश्वास, आत्मसम्मान एवं आत्मविकास बढ़ता है और शिक्षा के माध्यम से हम अपनी क्षमताओं पर अधिक विश्वास करने लगते है।निरंतरता से लक्ष्य की ओर एवं सपने को पूर्ण करने में शिक्षा सही दिशा का मार्गदर्शन करती है। 6.क्रिएटिविटी : धीरे -धीरे जब मैं आगे बढ़ती गयी, तब मुझे विभिन्न क्षेत्रों के बारे में जानने का सुअवसर मिला। कभी मीरा, कभी मासिक धर्म कभी द पोएट्री ऑफ़ अर्थ इत्यादि। इन सभी के माध्यम से धीरे - धीरे मेरे अंदर कल्पनाशक्ति को बढ़ावा मिला। नये - नये विचारों का आगमन हुआ और नये - नये विचारों के माध्यम से क्रिएटिविटी, इमेजिनशन इत्यादि गुणों का विकास हुआ। नौवीं कक्षा से मैंने कविता, निबंध लिखना आरम्भ कर दिया था और यह यात्रा अभी भी जारी है। यह सब सम्भव हो पाया है निरंतर पढ़ने sसे। 7. भाषा : शब्द को सम्भल - सम्भल कर बोलिये, शब्द के ना होते हाथ - पाँव, एक ही शब्द में है औषधि और एक ही शब्द में है घाव। शब्दों में बहुत ताकत है। सार्थक एवं मीठी वाणी से व्यक्ति सम्मान के पात्र बनते है। सार्थक, स्पष्ट एवं मधुर शब्दों का भंडार शिक्षा से मिल सकता है। पढ़ने से हमारी भाषा का ज्ञान बढ़ता है और हम प्रभावी ढंग से संवाद करने में सक्षम होते है। अपने विचारों को प्रभावी एवं उम्दा बनाने के लिए अच्छे से पढ़िए। 9. करियर : शिक्षा सफलता का आधार है। शिक्षा के माध्यम से बेहतर करियर का चयन आप कर सकते है। सुंदर एवं सफल जीवन जी सकते है। अगर आप अपने करियर को सशक्त बनाना चाहते है तब अच्छे से पढ़िए। शिक्षा हमें आर्थिक रुप से स्वतंत्र बनने में मदद करती है। यह कुछ महत्वपूर्ण लाभ है। कहा जाए तो जितना आप ज्ञान हासिल करेंगे उतना आपका ही लाभ है। लेकिन ज्ञान केवल आपके पाठ्यक्रम तक ही सीमित नहीं होना चाहिए। इंटरनेट का सदुपयोग करे। विभिन्न कौशल, व्यवहारिक ज्ञान इत्यादि अर्जित करें। उपरोक्त कारण / लाभ के अलावा आप समाज में योगदान कर सकते है, नेतृत्व क्षमता में विकास, तनाव कम होने लगता है, समाज में सम्मान बढ़ता है इत्यादि। पढ़िए खूब पढ़िए।आज के जनरेशन के पास असीमित अवसर है और उन अवसर से लाभ हासिल करने के लिए पढ़िए, खूब पढ़िए। धन्यवाद काजल साह

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