तुम उतनी ही धीमी आवाज़ में बात कर सकते हो
जितनी मेरी है तो हमारी बात हो सकती है
तुम्हें किताबों को टेबल पर ज़ोर से रखने की
या दरवाज़े-खिड़कियाँ ज़ोर से भिड़कने की आदत है
तो हमारी कोई बात नहीं हो सकती
तुम समसामयिक, राजनैतिक, ऐतिहासिक, दार्शनिक, भौगोलिक, साहित्यिक, कलात्मक या दुनिया के किसी भी विषय पर हर समय बोलने के लिए तत्पर हो या तैयारी करते रहते हो
तो हमारी कोई बात नहीं हो सकती
तुम्हें अपने प्रेमी-प्रेमिका की शिकायतों का पुलिंदा खोलना हो
कि दुष्टों पर तुमने अपना समय व्यर्थ किया यह बताना हो
तो हमारी कोई बात नहीं हो सकती
तुमने मेरी कविता पढ़ी है
उससे प्रभावित हुए और उस पर बात करना चाहते हो
तो हमारी कोई बात नहीं हो सकती
तुम हर एक कविता का अर्थ समझ जाते हो या
दूसरों को समझा देते हो
तो हमारी कोई बात नहीं हो सकती
तुम्हें जीवन अबूझ मालूम पड़ता हो
और बूझने की चाह भी न हो
तो हमारी बात हो सकती है
तुम्हें पुरानी चिट्ठियाँ पढ़ने का सलीक़ा आता हो
और आकाश को घंटों एकटक देखने का अनुभव हो
तो हमारी बात हो सकती है
तुम्हारा कोई लक्ष्य न हो; योजना न हो
तुम्हें अकारण छूटी हँसी और सहसा फूटी रुलाई
असहज न करते हों तो हमारी बात हो सकती है
तुमने किसी आत्मीय के देहांत को बहुत निकट से देखा हो
या जीवन में कम-अज़-कम एक बार मृत्यु छू आने वाला
प्रेम किया हो और इन बातों पर अब मौन हो गये हो
तो हमारी बात हो सकती है
तुम्हें जीना डराता हो और मरना भी
ख़ुद से तुम्हारी कोई अपेक्षा न हो
और मुझसे भी
तो हमारी बात हो सकती है
तुम मेरे मित्र न हो शत्रु भी नहीं प्रशंसक और प्रेमी भी नहीं
तो हमारी बात हो सकती है
मेरे यहाँ कुछ बेशर्त नहीं है
क़दम-क़दम पर शर्त है
समय बहुत कम बचा है जीवन में
बातें और भी कम
तुम्हें बात करना न आता हो तो हमारी बात हो सकती है
_____________
बाबुषा
युवतर कवि से
जून,२०२४
|