बातूनी लोगों से भरी इस दुनियाँ में तुम्हारे पास एक ही शब्द है पाखी। केवल एक शब्द। पानी के लिए अम्मै तो अपनी मम्मी के लिए भी अम्मै बाहर डोलने के लिए अम्मै तो छत पर कब्बू देखने के लिए भी अम्मै हमारा ही ठेका है कि हम हरबार तुम्हारी अम्मै का अर्थ खोजें। बहुत मुश्किल है पाखी लोगों के शब्दों का सही अर्थ खोजना तुम अभी भोली हो तुम्हें अपना आशय छीपाना नहीं आता पानी के फ़िल्टर के पास तुम्हारी अम्मै दादी का पल्लू पकड़ कर बाहर चलने की अम्मै और दादा को छत की सीढ़ियों दिखाने की अम्मै सब अपना आशय खोल देते हैं। पाखी! मुश्किल है उन लोगों के शब्दों का आशय समझना जो बातें तो मीरघाट की करते हैं पर जिन्हें तीरघाट जाना होता है। कितनी पारदर्शी है तुम्हारी अम्मै तुम बड़ी हो जाओगी तब भी हम याद रखेंगे इस बहुअर्थी अम्मै को। धन्यवाद शेखर जोशी।