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11/12/2024 Kajal sah General Views 164 Comments 0 Analytics Video Hindi DMCA Add Favorite Copy Link
हजार योद्धाओं नहीं

हजारों योद्धाओं पर विजय पाना आसान है, लेकिन जो स्वयं पर विजय प्राप्त कर लेता है, वही सच्चे अर्थों में महान होता है। महात्मा बुद्ध के इस विचार को अपनाकर, जितने भी महान व्यक्तित्व हुए हैं, उन्होंने सबसे पहले अपने भीतर की कमजोरियों, विकारों और नकारात्मकता पर विजय पाई। आत्मनिरीक्षण के माध्यम से स्वयं को पहचानकर, वे पूरी दुनिया के लिए प्रेरणा का स्रोत बने। खुद पर जीत हम तब ही हासिल कर पाएंगे, जब हमें खुद के बारे में सम्पूर्ण रूप से पता हो। कमजोरियों से लेकर ताकत,गुण से लेकर अवगुण इत्यादि। आज इस निबंध मैं आप सभी के साथ शेयर करुँगी कि कैसे कोई भी व्यक्ति को खुद को जान सकता / सकती है।कितनी दुख की बात है, दूसरों के बारे में जानना, उनके जीवन में क्या चल रहा है इत्यादि इन सभी मुद्दों पर अधिक रूचि है लेकिन खुद के बारे में गहराई से जानने में रूचि का आभाव है। खुद को जानना जीवन की सबसे महत्वपूर्ण यात्राओं में से एक है। यह हमें अपनी ताकतों, कमजोरियों, मूल्यों और इच्छाओं को समझने में मदद करता है। जब हम खुद के बारे में जान लेते हैं, तो हम बेहतर निर्णय ले सकते हैं, स्पष्ट एवं सार्थक कार्य कर सकते हैं, अधिक अच्छा संबंध बना सकते हैं इत्यादि। इसलिए यह बेहद अनिवार्य है। सार्थक, सुंदर एवं सफल जीवन जीवन पाने के लिये सबसे पहले खुद को जानना अत्यंत आवश्यक है। खुद को जानने के निम्नलिखित तरीका : 1. लिखें : अच्छी आदतों से हमारा मजबूत चरित्र बनता है और बूरी आदतों से हमारा जीवन दुखमय पूर्ण हो जाता है। इसलिए हमें अपने जीवन में अच्छी आदतों को अपनाना चाहिए। खुद को जानने के लिए लिखना आरम्भ करें। प्रात: काल उठकर अपनी भावनाओं, विचारों, आदतें एवं अनुभवों को लिखें। जर्नलिंग एक सशक्त एवं अनुपम माध्यम है, जिसके जरिये आप अपने आंतरिक मन को जान पाइयेगा। आत्मविश्लेषण एवं आत्मनिरीक्षण एक सशक्त माध्यम है जर्नलिंग। 2. ध्यान : मन सबसे गतिशील है। मन की चंचलता की वजह से हम जीवन में आगे नहीं बढ़ पाते हैं। मन की चंचलता की वजह से मोह - माया इन सभी में मनुष्य फँसा रहता है। चंचल मन की वजह से हम खुद के बारे में नहीं जानते हैं। इसलिए यह बेहद अनिवार्य है कि खुद को जानने के लिए, अपने मन को जानने के लिए प्रतिदिन मैडिटेशन करें। ध्यान करने से हम अपने मन को शांत कर सकते हैं और अपने आंतरिक आवाज को सुन सकते हैं। 3. प्रकृति :प्राचीन समय में मनुष्य एवं प्रकृति का रिश्ता अनुपम था। लेकिन आज आधुनिक युग में मनुष्य एवं प्रकृति का रिश्ता एक चिंता का विषय बन गया है। अधिकांश देश अपने देश को अत्यधिक आधुनिक बनाने के लिए पेड़ - पौधे को काट रहे हैं और ऊँची - ऊँची इमारत बना रहे हैं।आज मनुष्य प्रकृति से जितना दूर हो रहा है,उतना ही शीघ्रता से विनाश की ओर बढ़ रहा है।प्रकृति से दूर होने से आज मनुष्य बाह्य एवं आंतरिक दोनों समस्याओं से सूझ रहा है। जिसकी वजह से मनुष्य का मन अशांत रहता है। यह अत्यंत आवश्यक है, कि मनुष्य को प्रकृति में समय व्यतीत करना चाहिए। ऐसे स्थान पर घूमने जाएँ, जहाँ प्रकृति से जुड़े। कहा भी जाता है कि प्रकृति में समय बिताने से आप तनाव कम कर सकते हैं और उन स्थानों पर जाने से आप उत्साह महसूस करेंगे। 4. सीखें : सीखना जीवन पर्यन्त क्रिया है। जब तक जीवन है तब तक सीखते रहना चाहिए। अपने आप को सीमित ना रखें। हमेशा नई चीज़ें सीखते रहें। निरंतर सीखने से आप अपनी क्षमताओं का विस्तार कर सकते हैं और अपने बारे में अच्छे से जान सकते हैं।इसलिए प्रतिदिन ज्ञान, कौशल एवं अनुभव में वृद्धि के लिए सीखते रहें। यह कुछ महत्वपूर्ण टिप्स है। जिससे आप खुद के बारे में जान सकते हैं। उपरोक्त टिप्स के अलावा अन्य टिप्स है यात्रा करें, अपनी ताकतों एवं कमजोरियों का गहराई से विश्लेषण करें, अपने आप पर विश्वास रखें, अपने नकारात्मक विचारों को चुनौती दें इत्यादि। खुद को जानना एक निरंतर प्रक्रिया है।निरंतर सीखते रहें और खुद पर विश्वास रखें। आशा करती हूं कि यह निबंध आपको अच्छा लगा होगा। धन्यवाद काजल साह

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